
Kedarnath Dham 15 Mysterious Miracles and Amazing केदारनाथ धाम के 15 रहस्यमय चमत्कार
Kedarnath Dham 15 Mysterious Miracles and Amazing केदारनाथ धाम के 15 रहस्यमय चमत्कार
आखिर केदारनाथ धाम में ऐसा क्या है जिसकी वजह से बिना तेल डाले भी 6 महीने तक लगातार जलता रहता है दीपक कैसे महादेव ने अपने भक्त के लिए छ महीनों को सिर्फ एक रात में ही तब्दील कर दिया था आखिर क्यों भैरवनाथ को केदारनाथ धाम का द्वारपाल माना जाता है आखिर क्या हुआ जब भीम शलाला पर रिसर्च करने पहुंचे वैज्ञानिक आखिर क्या है रीतस कुंड का रहस्य आखिर क्यों केदारनाथ मंदिर का शिवलिंग दुनिया के सभी शिवलिंग से पूरी तरह से अलग है आखिर क्या रहस्य छिपा हुआ है इस शिवलिंग में आखिर इस शिवलिंग का नेपाल की पशुपतिनाथ मंदिर की शिवलिंग से क्या संबंध है क्या हुआ जब एक
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साधु दीपक के रहस्य को जानने के लिए चुपके से मंदिर के अंदर घुस गया आखिर क्यों और किसने करवाया था केदारनाथ मंदिर का निर्माण दोस्तों 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे सर्वोच्च माने जाने वाला केदारनाथ धाम जो हिमालय की गोद में बसा हुआ है आज करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र माना जाता है कई हजार फुट की ऊंचाई वाले तीन पहाड़ों के बीच बसे हुए केदारनाथ
केदारनाथ धाम का महत्व और ऐतिहासिक संदर्भ
धाम में पांच नदियों मंदाकिनी क्षीर गंगा स्वर्ण गौरी मधु गंगा और सरस्वती का महासंगम भी देखने को मिलता है हर साल लाखों श्रद्धालु यहां महादेव के दर्शन करने आते हैं और इस स्थान की अलौकिक से मंत्र मुग्ध हो जाते हैं इस प्रसिद्ध तीर्थ के बारे में कहा जाता है कि यहां आने वाले प्रत्येक मनुष्य को स्वर्ग जैसी अनुभूति होती है स्वर्ग कहिए या महादेव का मंदिर बात एक ही है लेकिन क्या आपको पता है केदारनाथ धाम से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित है जिनसे यह पता चलता है कि केदारनाथ धाम कोई सामान्य धाम नहीं है बल्कि यहां पर तो साक्षात महादेव
विराजमान है यहां पर ऐसे कई चमत्कार देखने को मिलते हैं जो इस बात की साफ-साफ गवाही देते हैं कि यहां सच में महादेव निवास करते हैं लेकिन दोस्तों ऐसा बताया जाता है कि आने वाले समय में केदारनाथ धाम विलुप्त हो जाए इसका जिक्र हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी किया गया है अब सवाल यह उठता है कि आखिर महादेव का गढ़ कहा जाने वाला केदारनाथ कैसे विलुप्त हो सकता है आखिर ऐसी कौन सी घटना घटित होने वाली है जिसके चलते केदारनाथ धाम हमेशा हमेशा के लिए धरती से विलुप्त हो जाएगा इन सभी के बारे में आज हम आपको इस कहानी में बताने जा रहे हैं साथ ही इस मंदिर के कई ऐसे रहस्य
400 वर्षों तक बर्फ में दबा रहने वाला मंदिर
हैं जिनके बारे में शायद ही कोई जानता होगा उनसे भी आज हम आपको रूबरू करवाने वाले हैं इसलिए दोस्तों यह कहानी काफी इंटरेस्टिंग होने वाली है अगर आप एक सच्चे सनातन प्रेमी है तो एक बार इस कहानी को हम आपको बाबा केदारनाथ के कुछ ऐसे चमत्कार और रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनको जानने के बाद आप बाबा केदारनाथ के चमत्कार को नमस्कार करने के लिए मजबूर हो जाएंगे
बारे में रहस्य नंबर वन मंदिर में इस्तेमाल किए गए पत्थरों का रहस्य दोस्तों केदारनाथ धाम मंदिर में इस्तेमाल किए गए पत्थर आज भी श्रद्धालुओं और वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बने हुए हैं केदारनाथ मंदिर भूरे रंग के विशाल पत्थरों और विशाल काय शीला खंडों को जोड़कर बनाया गया है हैरानी की बात तो यह है कि इस मंदिर में इस्तेमाल किए गए पत्थर केदार नाथ धाम के आसपास की जगह पर दूर-दूर तक कहीं पर भी मौजूद नहीं है साथ ही केदारनाथ धाम तकरीबन 22000 फीट की ऊंचाई पर मौजूद है ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिस समय इस मंदिर का निर्माण किया गया था
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उस समय इतनी एडवांस टेक्नोलॉजी भी नहीं थी जिसकी मदद से इतने भारी पत्थरों को इतनी ऊंचाई तक पहुंचाया जा सके ऐसे में लोगों का मानना है कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण करना किसी मानव की कल्पना से तो परे है इस मंदिर का निर्माण जरूर किसी देवी शक्ति ने ही किया होगा नंबर टू 400 सालों तक बर्फ के नीचे दबा रहा था यह मंदिर केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड की हिमालय श्रृंखला में स्थित है और इसने अपने लंबे इतिहास में कई प्राकृतिक आपदाओं को देखा है ऐसी ही एक घटना लगभग चार शताब्दी पहले हिम युग में हुई थी जब केदारनाथ मंदिर लगभग 400 वर्षों ततक बर्फ
के नीचे दबा हुआ था ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान भारी बर्फबारी के कारण मंदिर दिखना बंद हो ग गया था जिसकी वजह से श्रद्धालु मंदिर के दर्शन करने में असमर्थ थे लेकिन मंदिर को 20वीं शताब्दी की शुरुआत में रिसर्च टीम की मदद से खोजा गया था जिन्होंने बर्फ को साफ किया जब मंदिर की पूरी बर्फ को हटाया गया तो एक समय के लिए रिसर्च टीम भी दंग रह गई थी क्योंकि इतने सालों तक बर्फ में दबे रहने के बावजूद भी इस मंदिर को एक खरोच तक नहीं आई थी यह मंदिर अपनी पहले की स्थिति में ही बरकरार था इतने वर्षों तक बर्फ के नीचे दबे रहने के बाद भी केदारनाथ मंदिर की खोज ने पूरे
महाकाल की उपस्थिति और शिलाखंड की रक्षा
भारत के लोगों में उत्साह पैदा कर दिया खासकर हिंदू भक्तों ने इसे एक चमत्कार माना नंबर थ्री भीम शिलाखंड का रहस्य मंदाकिनी नदी के किनारे बसे केदारनाथ मंदिर का 2013 में आई प्रलय के बाद बचना किसी चमत्कार से कम नहीं है इस विनाश में सब कुछ खत्म हो गया था सन 2013 में प्रकृति ने अपना इतना भयानक रौद्र रूप दिखाया था जिससे ना सिर्फ उत्तर खंड बल्कि पूरे भारत को रुलाकर रख दिया था यह बात किसी से भी छुपी नहीं है कि 2013 में कितनी भयानक आपदा आई थी बाबा केदारनाथ के दर्शनाभिलाषी ना जाने कहां-कहां से दर्शन के लिए आए थे लेकिन इस प्रलय ने 6000 से
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भी ज्यादा जिंदगियों को तबाह कर दिया और घायलों की संख्या तो पूछिए ही मत उस वक्त ऐसा लग रहा था मानो मंदाकिनी नदी सब कुछ अपने साथ बहा ले जाने के लिए आतुर हो लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जिसमें स्वयं महाकाल ने ने अपनी उपस्थिति का मनुष्यों को एहसास कराया जब मंदाकिनी अपने उफान पर थी तो ऐसा लग रहा था कि बाबा के मंदिर को भी अपने साथ बहा कर ले जाएगी लेकिन उसी बहाव के साथ आया एक शिलाखंड मानो ढाल बनकर मंदिर के समक्ष खड़ा हो गया हूं यह विशाल कायलानी के साथ रोल होते हुए आया और मंदिर से सिर्फ 10 मीटर दूर पहुंचने के बाद अचानक से रुक गया जिसकी वजह से पानी का
तेज बहाव मंदिर को छोड़कर मंदिर के दोनों तरफ से बहने लगा इस शिलाखंड की वजह से मंदिर का बाल तक बांका ना हो सका उस समय मंदिर में मौजूद सभी लोगों ने यह मान लिया था कि उनका बचना अब संभव नहीं है लेकिन इस शिलाखंड की वजह से 500 से भी ज्यादा लोगों की जान बच गई थी अब इसे चमत्कार कहं या संयोग परंतु आस्था रखने वालों के लिए यह महाकाल की लीला ही तो है पानी के साथ बहकर आई इस शिला का नाम भीम शिला रखा गया है केदारनाथ आने वाले भक्त इस शिला की भी पूजा और अर्चना करते हैं यह शिला मंदिर के परिक्रमा मार्ग के बिल्कुल पीछे है जब वैज्ञानिक इस भीम शीला पर रिसर्च करने के
भीम शिला को हिलाने की वैज्ञानिक कोशिशें
लिए निकले तो उन्होंने आधुनिक यंत्रों द्वारा इस भीम शलाला को हिलाने की बहुत कोशिश की लेकिन वैज्ञानिक इस भीम शलाला को टस से मस्तक नहीं कर पाए इस शिला पर रिसर्च करने के बाद यह पता चला कि यह विशाल काशीला लगभग 5000 साल से भी अधिक पुरानी है अब बहुत से लोग यह बोलेंगे कि जिस तरह से इस भीमशी के चमत्कार की वजह से 500 लोगों की जान बच गई उसी तरह से महादेव ने अन्य और लोगों की भी जान को क्यों नहीं बचाया तो इसका जवाब यह है कि लोग बाबा के दर्शन करने कम और घूमने फिरने और अपने मनोरंजन के लिए ज्यादा आते हैं उनके मन में भक्ति कम और इं पर रील बनाने की इच्छा Kedarnath Dham 15 Mysterious Miracles and Amazing केदारनाथ धाम के 15 रहस्यमय चमत्कार
नर और नारायण पर्वत का मिलन और केदारनाथ का लुप्त होना
हो जाएगा हमारे सनातन धर्म के ऐसे बहुत सारे ग्रंथ हैं जिसमें इस बात का जिक्र मिलता है कि जिस दिन नर या नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे उस दिन केदारनाथ धाम का शिवलिंग गायब हो जाएगा इसके बाद एक बार फिर से केदारनाथ धाम में काफी तेज प्रलय आएगी और केदारनाथ धाम पूरा बर्फ में दब जाएगा अब बहुत सारे लोगों का कहना है कि यह मंदिर पहले भी हिमयुग के समय 400 साल तक बर्फ के नीचे दबा हुआ रहा था तब भी इसका कुछ नहीं हुआ तो आगे भी कुछ नहीं होगा अब यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन लोगों की आस्था का यह प्रमुख केंद्र बहुत ही अनोखी तकनीक के साथ बनाया गया है जो आज भी
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सुरक्षित है नंबर फाइव उदक कुंड का रहस्य केदारनाथ मंदिर के दक्षिण में स्थित उदक कुंड का अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व माना जाता है भक्तों का कहना है कि जो कोई भी उदक कुंड का पवित्र जल पिएगा वह हमेशा के लिए जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाएगा माना जाता है कि इस जल में शुद्धीकरण की क्षमता होती है शिव पुराण के केदार खंड के अनुसार उदक कुंड का जल पांचों महासागरों का मिश्रण है दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2013 से पहले केदारनाथ ताम में पांच कुंड हुआ करते थे लेकिन 2013 के बाद तीन कुंड गायब हो गए हैं केवल उदक कुंड और रेत कुंड को छोड़कर
वैज्ञानिक आज भी बचे हुए तीन कुंडों को नहीं खोज पाए हैं नंबर सिक्स रेत कुंड का रहस्य केदारनाथ मंदिर से करीब 500 मीटर की दूरी पर सरस्वती नदी के तट पर रेत कुंड स्थित है यह कुंड बड़ा ही रहस्यमय है ऐसा केदार खंड में लिखा गया है कि यहां उमन शिवाय का जप करने पर पानी में से बुलबुले उठते हैं वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि इस कुंड के जल के पीने से मनुष्य शिवर ूप हो जाता है यह कुंड 2013 की प्रलय में लुप्त हो गया था इसे हाल ही में खोजा गया है यह कुंड बड़ा ही चमत्कारी है इस कुंड के पास आकर ओम नमः शिवाय बोलने पर यह कुंड बुलबुले छोड़ता है खास बात यह है कि यह
ओम नमः शिवाय बोलने पर बुलबुले का प्रकट होना
कुंड सिर्फ ओम नमः शिवाय का जाप करने पर ही बुलबुले छोड़ता है ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय हर हर शंभो और कहा जाता है यहां पर ओम नमः शिवाय बोलने से बुलबुले आते हैं जो हमने साक्षात देखे भी है और आप देख सकते हैं प्रत्यक्ष रूप से दिख रहा है कि बुलबुले किस तरह से हमने जैसे ही भगवान शि के जयकारे उद्घोष किया है वैसे ही यहां पे बुलबुले निकल के आ रहे हैं तो ये मंदिर में बम बम भोले नाम का नाम जब लेते हैं तब उसमें से पानी में से बुलबुले निकलते बाहर ये पुराना ये क्या
है पूरा ये साच है कि ये श्रद्धा है कि भगवान का नाम लो तो ये सब होता है नंबर सात केदारनाथ धाम का पांडवों से जुड़ा रहस्य ऐसा बताया जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने केदारनाथ मंदिर का निर्माण किया था ऐसा माना जाता है कि अपने भाइयों की हत्या करने के बाद पांडवों ने फैसला किया था कि वे अपने पापों का प्रायश्चित करेंगे इसके लिए वे केदारनाथ धाम पहुंचे भगवान शिव से क्षमा मांगने के लिए सभी पांडव उन्हें खोजने लगे लेकिन भगवान शिव उन्हें माफ नहीं करना चाहते थे इसलिए वह बैल के रूप में छिप गए लेकिन जब भीम ने उन्हें पहचान लिया और उन्हें छूने
पंच केदार और भगवान शिव का बिखरना
का प्रयास किया तो भगवान शिव पांच अलग-अलग स्थानों केदारनाथ रुद्रनाथ तुंगनाथ मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर में बिखर गए और गायब हो गए जिन्हें अब पंच केदार के नाम से जाना जाता है बाद में पांडवों ने भगवान शिव को मना लिया था कहा जाता है कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों ने ही करवाया था नंबर आठ भैरोनाथ करते हैं केदारनाथ की रक्षा दोस्तों भैरोनाथ को केदारनाथ के रक्षक देवता के रूप में जाना जाता है पौराणिक कथा के अनुसार भैरोनाथ एक राक्षस हुआ करते थे जिसने भैंसे के रूप में भगवान शिव पर हमला किया था लेकिन जब वह शिवशंभू का कुछ Kedarnath Dham 15 Mysterious Miracles and Amazing केदारनाथ धाम के 15 रहस्यमय चमत्कार
नहीं बिगाड़ पाए तो उन्हें अपनी गती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान शिव से क्षमा मांगी बदले में भगवान शिव ने उन्हें क्षेत्र पालक की उपाधि दी जिसका अर्थ है पवित्र भूमि का रक्षक इसलिए भैरोनाथ को भक्तों द्वारा केदारनाथ मंदिर के संरक्षक के रूप में पूजा जाता है हर साल सर्दियों के मौसम में जब भारी बर्फबारी के कारण मंदिर बंद हो जाता है तो भैरोनाथ की मूर्ति को उखीमठ गांव ले जाया जाता है जहां पर यह मूर्ति मई तक रहती है जब केदारनाथ तीर्थ यात्रियों के लिए फिर से खुल जाता है तो इस मूर्ति को फिर से पहले वाले स्थान पर स्थापित कर दिया जाता है
स्थानीय लोग बताते हैं कि सन 2017 में मंदिर समिति और प्रशासन के लोगों को कपाट बंद करने में काफी परेशानी हुई थी कपाट की कुंडी लगाने में दिक्कत हो रही थी और फिर उसके बाद पुरोहितों ने भगवान केदार के क्षेत्रपाल भुकुर का आह्वान किया तो कुछ ही समय के बाद कुंडी सही बैठ गई और ताला लग गया यहां शीतकाल में केदारनाथ मंदिर की सुरक्षा भुकुम भैरव के भरोसे ही रहती है भैरोनाथ का महत्व केदारनाथ मंदिर में किए गए कई अनुष्ठानों के माध्यम से भी देखा जा सकता है जैसे कि मंदिर परिसर के अंदर उनकी मूर्ति पर फूल और नारियल चढाना वहीं कुछ
जलते हुए दिए का रहस्य
भक्तों का कहना है कि जब तक भैरवनाथ के दर्शन कोई व्यक्ति नहीं करता है तब तक उसकी केदारनाथ की यात्रा का फल उसे नहीं मिलता है नंबर नौ छ महीने के लिए बंद होता है केदारनाथ धाम दोस्तों केदारनाथ धाम हिंदुओं की सबसे बड़ी आस्था का केंद्र माना जाता है इसके बावजूद जूद भी केदारनाथ धाम को छ महीने के लिए ही खोला जाता है और छ महीने यह बंद रहता है केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद बाबा केदारनाथ की पंचमुखी डोली ऊख मठ के ओंकारेश्वर मंदिर तक बड़े ही धूमधाम के साथ निकाली जाती है इस दौरान भक्तगण बाबा केदारनाथ के अगले छह महीनों तक ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में
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दर्शन कर सकते हैं भाई दूज वाले दिन ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाते हैं अब आप लोग सोच रहे हो कि आखिर भाई दूज के दिन ही क्यों कपाट बंद होते हैं तो दोस्तों इसके पीछे दो कारण बताए जाते हैं सबसे पहला कारण बताया जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपनी पत्नी द्रौपदी के साथ हिमालय पहुंचे जहां उन्होंने भगवान शिव के मंदिर का निर्माण किया इसके बाद उन्होंने यहीं पर अपने पितरों का तर्पण किया था इसके बाद ही उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई कहते हैं कि जिस दिन पांडवों ने अपने पूर्वजों का तर्पण किया था वह भाई दूज का ही दिन था इसलिए तब से इसी दिन
केदारनाथ के खपा बंद होने लगे वही इसके पीछे का दूसरा कारण यह बताया जाता है कि भाई दूज के दिन से ही शीतकाल का आरंभ होता है इस दौरान हिमालय क्षेत्र में रहना बहुत मुश्किल होता है ऐसे में भक्तों को किसी भी तरह की परेशानी ना हो इसलिए जब तक शीतकाल रहता है तब तक मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं नंबर 10 जलते हुए दिए का रहस्य जब केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं उससे पहले पूजा विग्रह और दंडी को नीचे ले जाते हैं, मंदिर के आसपास की सफाई करके वहां एक दीपक जला देते हैं, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि मंदिर छ महीने तक बंद रहेगा।
रहने के बावजूद इसके दोबारा खोलने पर भी दिया वैसे ही जलता हुआ दिखाई देता है मंदिर में एक छोटा सा दिया पूरे छ महीने तक लगातार कैसे जलता रहता है इस बात को लेकर सभी हैरान है लेकिन सब लोग इसे साक्षात महादेव का चमत्कार ही मानते हैं नंबर 11 क्या हुआ जब एक साधु छ महीने के लिए केदारनाथ मंदिर के अंदर बंद हो गया एक बार एक साधु केदारनाथ मंदिर की छह महीने तक दीपक के जलने के रहस्य को जानने के लिए छुपके से खाने के लिए कुछ फलों के साथ मंदिर के अंदर ही रह जाता है इसके बाद मंदिर के द्वार बंद हो जाते हैं साधु भगवान से बोलता है क्षमा करें भगवान मैं
साधु की निराशा और प्रभु से संवाद
रहस्य जानना चाहता हूं दिन बीतते हैं और फिर फल खत्म हो जाते हैं साधु भूख से बहुत परेशान होने लगता साधु अपने साथ लाए गए फलों से केवल चार दिनों तक ही अच्छे से गुजारा कर पाता है लेकिन इसके बाद फल खत्म हो जाते हैं अब साधु के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं बचा था और अब वह भूख के मारे तड़पने लगा था निराश होकर साधु कहता है हे प्रभु क्या मैं अब यहीं पर मर जाऊंगा थक हार कर फिर साधु की नींद लग जाती है लेकिन जब साधु उठा तो उसे कुछ ऐसा दिखा जिसे देखकर उसके होश उड़ गए उसने देखा कि उसके आसपास ताजे फल बिखरे पड़े हैं दीपक भी जल
रहा है और तेल से भरा हुआ है इसके बाद साधु की ऐसी नींद लगती है कि वह छ महीने बाद ही खुलती है छ महीने बीत जाते हैं और फिर मंदिर के द्वार खुलते हैं तब लोग हैरान होकर बोलते हैं यह साधु कौन है साधु कमजोर आवाज में बोलता है मैंने भगवान का चमत्कार देखा है सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखने पर पता चलता है कि कोई अदृश्य शक्ति फल लाती थी और दीपक में तेल डालती थी नंबर 12 रुद्र गुफा गुफा को अक्सर ध्यान कुटिया भी कहा जाता है यह केदारनाथ मंदिर के पास स्थित है इसका निर्माण गढ़वाल मंडल विकास निगम द्वारा किया गया था केदारनाथ में मौजूद यह
गुफा काफी आश्चर्य से भारी हुई है बाहरी दुनिया के भटकाव से बचने के लिए केदारनाथ गुफा में कोई इंटरनेट कनेक्शन नहीं है लेकिन इसमें उचित बिजली के साथ एक बिस्तर और बाथरूम है यह गुफा पहली बार 2019 में चर्चा के अंदर आई जब मई 2019 में पीएम मोदी ने इस गुफा में ध्यान लगाया था रुद्र गुफा को लेकर ऐसा बताया जाता है कि पहले जितने भी भारत के बड़े-बड़े योगी और संत रह चुके हैं उन्होंने इसी गुफा में आकर ध्यान केंद्रित किया था नंबर 13 छ महीनों का एक रात में तब्दील होने का रहस्य दोस्तों जैसा कि हमने आपको बताया था केदारनाथ धाम छ महीने खुला रहता
महादेव की कृपा और भक्त की सच्ची भक्ति
है और छ महीने इसके कपाट बंद कर दिए जाते हैं लेकिन एक बार महादेव का बहुत ही बड़ा भक्त उस समय केदारनाथ धाम पहुंच जाता है जब मंदिर के कपाट बंद होते हैं पंडित जी को उसने बताया वह बहुत दूर से महीनों की यात्रा करके आया है पुजारी से उसने प्रार्थना की कृपा करके इस दरवाजे को खोलकर प्रभु के दर्शन करवा दीजिए लेकिन वहां का तो नियम है एक बार पट बंद हो गए तो फिर वह अपने निश्चित समय पर ही खुलते हैं पुजारी ने साफ-साफ भक्त को मना कर दिया कि वह कपाट नहीं खोलेगी उससे कहा कि वह छ महीने बाद ही दर्शन करने के लिए आए यह कहकर पंडित जी तो वहां से चले जाते हैं
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लेकिन वह भक्त वहीं पर बैठकर रोने लगता है और मन ही मन भोलेनाथ से प्रार्थना करता है कि एक बार उनके दर्शन हो जाए ऐसे ही रोते-रोते पूरा दिन बीत जाता है और जब रात होती है तो उसे काफी तेज भूख भी लग जाती है साथ ही बर्फ पारी होने की वजह से उसे बहुत ज्यादा ठंड भी लग रही थी इतने में उस भक्त के पास एक साधु आता है और उसे खाने के साथ एक कंबल देकर चला जाता है इसके बाद अचानक से उस भक्त की आंख लग जाती है और जब वह सुबह उठता है तो उसे मंदिर के कपाट खुले दिखाई देते हैं उस व्यक्ति ने पंडित जी को प्रणाम किया और बोला कल आपने तो कहा
महादेव की लीला: भक्त की भक्ति और केदारनाथ के अद्भुत रहस्य
था कि मंदिर छ महीने बाद खुलेगा और इस बीच यहां कोई नहीं आएगा लेकिन आप तो सुबह ही आ गए पुजारी ने उसे गौर से देखा पहचानने की कोशिश की और पूछा तुम वही हो जो मंदिर का द्वार बंद होने पर मुझे मिले थे छ महीने होते ही तुम वापस आ गए उस आदमी ने आश्चर्य से कहा नहीं मैं कहीं गया ही नहीं था मैं तो तभी से यहीं पर ही हूं कल ही तो आप मुझे मिले थे रात में मैं यही सो गया था और कहीं नहीं गया पुजारी जब व्यक्ति के मुंड से इस तरह की बातें सुनते हैं तो वह भी काफी अचंभित हो जाते हैं और उन्हें पूरा खेल समझ में आ जाता है दरअसल महादेव
ने अपने भक्त के लिए छ महीने को एक रात में तब्दील कर दिया था नंबर 14 शिवलिंग का रहस्य दोस्तों केदारनाथ का शिवलिंग दुनिया में अभी तक जितने भी शिवलिंग हैं उन सभी से बहुत अलग है केदारनाथ का शिवलिंग त्रिकोणीय आकार का है जबकि लगभग सभी शिवलिंग अंडाकार या गोलाकार होते हैं अन्य शिवलिंग को मनुष्य द्वारा बनाया जाता है जबकि केदारनाथ का शिवलिंग प्राकृतिक रूप से निर्मित है मान्यता है कि केदारनाथ धाम में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है स्वयंभू शिवलिंग का अर्थ है जो स्वयं प्रकट हुआ है मान्यता है कि केदारनाथ में मौजूद ज्योतिर्लिंग आदि है और इसे पूर्ण बनाती other
है नेपाल में मौजूद पशुपतिनाथ मंदिर की शिवलिंग तो दोस्तों यह थे केदारनाथ मंदिर से जुड़े हुए कुछ अनोखे रहस्य जिनके बारे में आज कुछ भी कहो लेकिन केदारनाथ धाम में स्वयं महादेव विराजमान है इस बात को हर साल वहां जाने वाले लाखों श्रद्धालु मानते हैं
यहां केदारनाथ धाम से जुड़ी 5 सामान्य प्रश्न (FAQ) दिए गए हैं
1. केदारनाथ मंदिर का दीपक क्यों जलता रहता है?
केदारनाथ धाम में दीपक का जलना एक रहस्य है। इस दीपक को छह महीने तक बिना तेल डाले जलते हुए देखा जाता है। माना जाता है कि यह महादेव का चमत्कार है। जब केदारनाथ के कपाट बंद होते हैं, तो मंदिर परिसर में एक दीपक जलाया जाता है, जो कि बिना किसी ईंधन के लगातार जलता रहता है। इसका रहस्य आज भी वैज्ञानिकों के लिए पहेली बना हुआ है, और श्रद्धालु इसे भगवान शिव की शक्ति और आशीर्वाद मानते हैं।
2. भैरवनाथ को केदारनाथ का द्वारपाल क्यों माना जाता है?
पौराणिक कथा के अनुसार, भैरवनाथ एक राक्षस था जिसने भगवान शिव से युद्ध किया था, लेकिन वह उन्हें हरा नहीं पाया। शिव ने उसे क्षमा कर उसे केदारनाथ का रक्षक बना दिया। इसलिए, भैरवनाथ को केदारनाथ के द्वारपाल के रूप में पूजा जाता है। शीतकाल में जब केदारनाथ मंदिर बंद होता है, तो भैरवनाथ की मूर्ति ऊखीमठ ले जाई जाती है, जहां वह पूजा और संरक्षण का कार्य करती है।
3. केदारनाथ मंदिर में अद्भुत पत्थरों का रहस्य क्या है?
केदारनाथ मंदिर में इस्तेमाल हुए पत्थर आज भी एक रहस्य बने हुए हैं। इन विशाल पत्थरों का कोई स्रोत आसपास नहीं मिलता। कुछ लोग मानते हैं कि यह पत्थर किसी दिव्य शक्ति द्वारा वहां रखे गए थे, क्योंकि उस समय की तकनीक से इतने भारी पत्थरों को उस ऊंचाई पर लाना असंभव था।
4. केदारनाथ मंदिर का शिवलिंग अन्य शिवलिंग से अलग क्यों है?
केदारनाथ का शिवलिंग अन्य शिवलिंगों से बिल्कुल अलग है। इसका आकार और संरचना अद्वितीय है। यह प्राकृतिक रूप से बने हुए शिवलिंग का प्रतीक है, और यह दर्शाता है कि भगवान शिव खुद यहां विराजमान हैं। इसके आकार की विशेषता इसे अन्य शिवलिंगों से अलग बनाती है।
5. क्या है रीतस कुंड का रहस्य?
केतारनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित रीतस कुंड को लेकर कई रहस्यमयी कथाएं हैं। माना जाता है कि यहां उमन शिवाय का जाप करने से पानी में बुलबुले उठते हैं। यह एक चमत्कारी कुंड है, और इसे भगवान शिव की पूजा के साथ जुड़ा हुआ माना जाता है। 2013 की आपदा के बाद इस कुंड की स्थिति में बदलाव आया था, और वैज्ञानिक अभी भी इसके रहस्य का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
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