
The Poor Farmer and the Princess चंदन सिंह की अद्भुत यात्रा
The Poor Farmer and the Princess चंदन सिंह की अद्भुत यात्रा
दोस्तों सफलता तकलीफों और संघर्षों के बिना संभव नहीं होती यह सत्य है कि इंसान अपनी तकदीर खुद लिखता है यदि वह सच्ची लगन और मेहनत से आगे बढ़े तो चाहे भाग्य में कुछ भी लिखा हो वह अपनी राह खुद बना सकता है दोस्तों बहुत पुराने समय की बात है कौशल राज्य नामक एक राज्य में वेद प्रकाश नाम के एक बहुत ही ज्ञानी ज्योतिषी रहा

करते थे वे हस्तरेखा के बहुत बड़े जानकार थे वे लोगों के हाथ की रेखाओं को देखकर उनका भविष्य बता देते थे और साथ ही साथ ऐसा उपाय भी बताते थे जिससे भविष्य में आने वाली कोई भी परेशानी टल सके उन्हें अपनी इस विद्या पर बहुत अहंकार था और वे अक्सर ही लोगों से कहा करते थे मैं सिर्फ भविष्य देख ही नहीं सकता बल्कि किसी का भी
एक गरीब को राजा बनाने की अनोखी शुरुआत
भविष्य बदल सकता हूं वे अपने इस दावे को सही साबित करने के लिए हमेशा किसी ना किसी मौके की तलाश में रहते थे दोस्तों एक बार की बात है कि वेद प्रकाश किसी काम से दूसरे नगर की यात्रा पर निकले हुए थे रास्ते में एक घना जंगल पड़ता था उसको वह पार कर ही रहे थे तभी उन्होंने देखा कि एक बहुत ही गरीब आदमी एक वृक्ष के नीचे लेटा
हुआ है वेद प्रकाश के मन में आया कि क्यों ना इस आदमी की हथेली की रेखाओं को देखकर इसका भाग्य जानूं और फिर इसके भाग्य को बदलने का प्रयास करूं यही विचार करके वेद प्रकाश उस आदमी के पास गए और उसे उठाते हुए बोले अरे भाई तुम कौन हो और इस सुनसान जंगल में क्यों सो रहे हो वह आदमी उठकर कहने लगा मैं पास के गांव का रहने वाला
The Poor Farmer and the Princess चंदन सिंह की अद्भुत यात्रा
चंदन हूं मैं बहुत ही गरीब आदमी हूं आज सुबह मेरी पत्नी और बच्चों से झगड़ा हो गया उन्होंने मुझे खरी-खोटी सुनाकर घर से निकाल दिया और कहा कि जब तक बहुत सारा धन ना कमा लूं तब तक घर वापस ना आऊं इसलिए मैं किसी काम की तलाश में घर से निकला और चलते-चलते थकान के कारण इस पेड़ के नीचे सो गया चंदन की बात सुनकर वेद प्रकाश बोले
“मैं कौशल राज्य का प्रसिद्ध हस्तरेखा विशेषज्ञ वेद प्रकाश हूं यदि तुम चाहो तो मैं तुम्हारी गरीबी दूर करके तुम्हें राजा बना सकता हूं ” बड़ी ही बेचैनी के साथ चंदन ने पूछा क्या सच में वेद प्रकाश ने गंभीरता से कहा हां लेकिन राजा बनने के लिए तुम्हें थोड़ा कष्ट सहना पड़ेगा चंदन चौंक कर बोला “कैसा कष्ट?” वेद प्रकाश ने
समझाते हुए कहा
राजयोग की रेखा: चंदन की किस्मत बदलने वाला क्षण
“मुझे तुम्हारी हथेली पर उच्च पद पर आसीन होने की रेखा बनानी होगी ” चंदन ने हैरानी से पूछा लेकिन हाथ में रेखा कैसे बनाई जा सकती है?” वेद प्रकाश मुस्कुराते हुए बोले “इसके लिए मुझे कटार से तुम्हारी हथेली पर एक रेखा खींचनी होगी इस कार्य में तुम्हें कुछ देर के लिए पीड़ा तो होगी लेकिन उसके बाद तुम्हारी किस्मत के बंद दरवाजे हमेशा के
लिए खुल जाएंगे वेद प्रकाश की बात सुनकर चंदन विचार में पड़ गया कुछ देर सोचने के बाद वह कहने लगा “मुझे आपकी हर बात स्वीकार है गुरु जी आप जल्दी से मेरी हथेली पर वह रेखा खींच दीजिए ” इतना सुनते ही वेद प्रकाश ने अपनी कटार निकाली और चंदन के हाथ पर राजयोग की रेखा बना दी फिर वेद प्रकाश बोले अब तुम यहां से जाओ तुम्हारी किस्मत में राजयोग आ चुका है The Poor Farmer and the Princess चंदन सिंह की अद्भुत यात्रा

शीघ्र ही तुम किसी ना किसी देश के राजा बनोगे यह सुनकर चंदन ने वेद प्रकाश को प्रणाम किया और वहां से चल पड़ा उसके जाने के बाद वेद प्रकाश भी कौशल राज्य की ओर लौटने लगा इधर चंदन खुशी से उछलता कूदता आगे बढ़ रहा था राजा बनने की खुशी में वह अपने काम धंधे की बात पूरी तरह से भूल चुका था वह सोच रहा था अब मैं जल्दी ही राजा बन जाऊंगा फिर अपने गांव वालों को
दिखा दूंगा कि मैं कोई निकट्टू नहीं हूं
भाग्य का द्वार: जब मंदिर से खुला राजमार्ग
मुझे राजा बना देख मेरी पत्नी और बच्चे बहुत खुश होंगे इसी तरह सोचते-सचते वह चलते-चलते एक नगर के करीब पहुंच गया वहां पहुंचकर उसने सोचा इस नगर में प्रवेश करने से पहले क्यों ना मंदिर में भगवान का आशीर्वाद ले लूं यही विचार करके वह मंदिर में प्रवेश करने लगा मंदिर के भीतर जाकर
उसने भगवान शंकर की मूर्ति को प्रणाम किया और कहने लगा हे प्रभु मुंह दुखी की पुकार सुन लो मुझ गरीब को राजा बना दो चंदन भगवान की मूर्ति के आगे हाथ जोड़कर खड़ा ही था कि अचानक दो सैनिक वहां आ गए और बोले तुझे प्रधानमंत्री जी बुला रहे हैं सैनिकों की यह बात सुनकर चंदन चौंक गया उसने बड़ी ही विचार पूर्वक पूछा क्यों आखिर प्रधानमंत्री जी मुझे क्यों बुला रहे हैं सैनिकों ने उत्तर दिया इसका उत्तर स्वयं प्रधानमंत्री जी ही देंगे वे मंदिर के आंगन में आपका इंतजार कर रहे हैं अच्छा चलो
कहकर चंदन सैनिकों के साथ चल पड़ा जैसे ही वह मंदिर के आंगन में पहुंचा प्रधानमंत्री ने आगे बढ़कर उसका स्वागत किया और बोले आइए श्रीमान जी हम आपका स्वागत करते हैं चंदन मन ही मन विचार करने लगा प्रधानमंत्री जी आज मुझे इतना सम्मान क्यों दे रहे हैं आखिर माजरा क्या है कहीं मैं किसी मुसीबत में तो नहीं फंसने वाला चंदन को सोच में डूबा देखकर प्रधानमंत्री जी मुस्कुराए और बोले श्रीमान जी आप व्यर्थ ही किसी अनिष्ट की आशंका में ना पड़े हम तो आपको एक अत्यंत
संयोग नहीं, राजयोग: चंदन बना राज्य का नया राजा
महत्वपूर्ण पद सौंपने वाले हैं चंदन आश्चर्य से बोला मुझे कौन सा महत्वपूर्ण पद सौंपने वाले हैं प्रधानमंत्री जी ने गंभीरता से उत्तर
दिया आज से आप इस राज्य के नए राजा हैं मैं क्या सुन रहा हूं कहीं मैं खुली आंखों से कोई सपना तो नहीं देख रहा प्रधानमंत्री जी बोले नहीं श्रीमान जी यह सपना नहीं बल्कि पूर्ण सत्य है आज सुबह ही इस राज्य के महाराज का निधन हो गया वे निसंतान थे और इस राज्य की परंपरा के अनुसार राजा की मृत्यु के दिन जो भी पहला परदेसी इस मंदिर
में शीश झुकाता है वही इस राज्य का नया राजा बनता है

और आज इस प्रथा को पूरा करने वाले पहले व्यक्ति आप हैं इसलिए आज से आप हमारे नए राजा हैं चंदन मन ही मन सोचने लगा अरे वेद प्रकाश ज्योतिषी ने सच कहा था मेरे हाथ की बदली हुई रेखा ने तो तुरंत ही अपना प्रभाव दिखा दिया मैं सचमुच राजा बन गया उसी समय प्रधानमंत्री जी ने उसकी कल्पना को भंग करते हुए कहा श्रीमान जी आप किस विचार में डूबे हुए हैं सोच विचार छोड़िए और हमारे साथ राजमहल चलिए आज ही आपका राजतिलक होगा हां हां चलिए चंदन ने उत्साहित होकर कहा प्रधानमंत्री आदर पूर्वक चंदन को राजमहल ले गए वहां बड़ी ही धूमधाम के साथ चंदन का राजतिलक किया गया प्रधानमंत्री ने नगरवासियों को संबोधित करते हुए कहा नगरवासियों आज से यह
चंदन बना चंदन सिंह: एक राजा
राजा चंदन सिंह हमारे नए राजा हैं सभी नगरवासी उत्साह पूर्वक जयकारा लगाने लगे राजा चंदन सिंह की जय हो राजा चंदन सिंह की जय हो भाग्य बदलते ही चंदन राजा तो बन गया और साथ ही चंदन से चंदन सिंह भी हो गया उधर दूसरी ओर चंदन की पत्नी सुमित्रा चिंतित थी क्या बात है बच्चों के पिता अभी तक घर क्यों नहीं लौटे शाम होने वाली है दोपहर
को गुस्से में उसने उन्हें बहुत कुछ उल्टा सीधा कह दिया था अब उसे पछतावा हो रहा था कहीं वे मुझसे नाराज होकर कहीं चले तो नहीं गए जब काफी देर हो गई और चंदन घर वापस नहीं लौटा तो सुमित्रा परेशान हो गई हे भगवान अब मैं उन्हें कहां ढूंढूं उसने गांव के लोगों से भी कई बार पूछताछ की लेकिन किसी को कुछ पता नहीं था गांव वालों
ने बस इतना ही कहा दोपहर में हमने उन्हें गांव के बाहर जाते हुए देखा था इसके बाद वे कहां गए इसका हमें कुछ पता नहीं इधर दूसरी ओर राजमहल में बैठा राजा चंदन सिंह विचार कर रहा था भगवान जैसे मेरे दिन फिरे हैं वैसे सबके दिन फिरे अब तो मैं इसी राज्य का राजा बनकर यहीं राज्य करूंगा अपने गांव वापस नहीं जाऊंगा फिर उसने सोचा
कल सैनिकों को अपने गांव भेजकर सुमित्रा और बच्चों को भी यहीं बुलवा लूंगा वे तीनों मुझे राजा बना देख बहुत खुश हो जाएंगे लेकिन तभी एक नया विचार उसके मन में आया अगर मैं सुमित्रा और बच्चों को यहां बुलवाऊंगा और लोगों को उनके बारे में बताऊंगा तो सबको पता चल जाएगा कि मैं बहुत ही गरीब परिवार से हूं
चंदन का नया संकल्प और वेद प्रकाश का बुलावा
नहीं मैं उन्हें यहां नहीं बुलाऊंगा अपना पता भी उन्हें नहीं दूंगा चंदन ने मन ही मन ठान लिया सुमित्रा ने मेरे घर से निकलने से पहले मेरा कितना अपमान किया था वह मेरी पत्नी बनने के योग्य ही नहीं है अब मैं राजा बन गया हूं अब मैं किसी बड़े राज्य की राजकुमारी से विवाह करूंगा यही सोचकर चंदन ने अपनी आंखें मूंद ली और चैन की नींद सो गया अगले दिन सुबह होते ही उसने प्रधानमंत्री को बुलाया और आदेश दिया
प्रधानमंत्री जी हम कौशल राज्य के प्रसिद्ध ज्योतिषी वेद प्रकाश को यहां बुलवाना चाहते हैं प्रधानमंत्री ने सिर झुकाकर कहा जो आज्ञा महाराज इसके बाद उन्होंने तुरंत ही एक सैनिक को बुलाकर आदेश दिया जाओ और कौशल राज्य जाकर ज्योतिषी वेद प्रकाश को हमारे राज्य में आमंत्रित करके लाओ सैनिक देवदत्त तुरंत ही कौशल राज्य के लिए रवाना हो गया उधर कौशल
राज्य में सैनिक वेद प्रकाश से मिला और आदर पूर्वक बोला ज्योतिषी जी आपको हमारे धारा नगरी के राजा चंदन सिंह ने बुलवाया है मुझे आदेश मिला है कि मैं आपको अपने साथ लेकर धारा नगरी लौटूं वेद प्रकाश आश्चर्यचकित रह गया धारा नगरी के राजा ने मुझे बुलाया है लेकिन मैं तो उन्हें जानता तक नहीं फिर उन्होंने मुझे क्यों बुलवाया
वेद प्रकाश का स्वागत और चंदन सिंह का सम्मान
होगा कहीं ऐसा तो नहीं कि मेरी ज्योतिष विद्या की कीर्ति वहां तक पहुंच गई हो और वे मुझसे अपना भविष्य जानना चाहते हो यह अवसर वेद प्रकाश अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहता था मुझे इसे सहर्ष स्वीकार करके धारा नगरी चले जाना चाहिए यही विचार करके उसने सैनिक से कहा ठीक है मैं तैयार होकर तुम्हारे साथ अभी चलता हूं वेद प्रकाश जल्दी से तैयार हुआ और सैनिक के
साथ चल पड़ा कुछ समय बाद जब वेद प्रकाश राजा चंदन सिंह के सामने पहुंचा वेद प्रकाश जैसे ही राजा चंदन सिंह के सामने पहुंचे चंदन प्रसन्न होकर बोले आ ज्योतिष जी आप आ ही गए फिर तुरंत खुद को सुधारते हुए बोले लेकिन धीरे बोलिए अब मैं सिर्फ चंदन नहीं बल्कि राजा चंदन सिंह हूं वेद प्रकाश चकित रह गए और बोले तुम इतनी जल्दी

राजा बन जाओगे यह तो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था चंदन सिंह हंसते हुए बोले ज्योतिष जी यह सब आपकी कृपा से ही हुआ है अगर आपने मेरे हाथ में कटार से वह रेखा नहीं खींची होती तो मेरा भाग्य नहीं बदलता यह सब आपकी विद्या और आशीर्वाद का ही फल है आपके कारण ही मैं राजा बना हूं फिर उन्होंने
गर्व से कहा इसलिए मैं आपको पुरस्कार स्वरूप हीरे जवाहरातों से लदे हुए हाथी और स्वर्ण मुद्राएं देने की घोषणा करता हूं वेद प्रकाश मुस्कुराए और बोले धन्यवाद महाराज चंदन सिंह मैं आपकी भेंट को सहर्ष स्वीकार करता हूं चंदन सिंह ने वेद प्रकाश को उचित पुरस्कार प्रदान किया
राजा चंदन सिंह का साम्राज्य विस्तार का संकल्प
और फिर बोले वेद प्रकाश आप समय-समय पर हमसे मिलते रहिएगा आपसे मिलकर हमें प्रसन्नता होगी वेद प्रकाश ने सिर झुकाकर
कहा जैसा आपका आदेश फिर उन्होंने राजा को प्रणाम किया और अपने नगर की ओर लौट गए वेद प्रकाश के जाने के बाद चंदन सिंह मन ही मन सोचने लगे अब मैं राजा बन गया हूं इसलिए मुझे कोई ऐसा
कार्य करना चाहिए जिससे पूरी प्रजा पर मेरी धाक जम जाए तभी एक विचार उनके मन में आया क्यों ना मैं पड़ोसी राज्य पर आक्रमण करूं यदि मैं वहां के
राजा को पराजित कर दूं तो उसका राज्य भी मेरे
राज्य में मिल जाएगा इससे मेरा साम्राज्य बढ़ेगा और मेरी जय जयकार होगी यही सोचकर उन्होंने तुरंत प्रधानमंत्री को बुलवाया प्रधानमंत्री के आते ही चंदन सिंह ने पूछा
“प्रधानमंत्री जी हमारे राज्य का सबसे करीबी पड़ोसी राज्य कौन सा है और वहां का राजा कौन है प्रधानमंत्री ने हाथ
जोड़कर उत्तर दिया महाराज हमारे राज्य की सीमा से सटा जो राज्य है वह सिंधुपुर है वहां के राजा आनंद प्रताप हैं यह सुनते ही चंदन सिंह बोले प्रधानमंत्री जी सेना को तुरंत युद्ध के लिए तैयार होने का आदेश दो हम आज ही युद्ध के लिए प्रस्थान करेंगे प्रधानमंत्री हक्का बक्का रह गए युद्ध महाराज लेकिन आप किससे युद्ध करना चाहते हैं हमारी तो किसी भी राज्य से शत्रुता नहीं है प्रधानमंत्री बोले महाराज राजा आनंद प्रताप तो हमारे राज्य के सबसे बड़े संरक्षक हैं स्वर्गीय महाराज धर्मवीर सिंह के उनसे गहरे मित्रतापूर्ण संबंध थे यह सुनकर चंदन सिंह क्रोधित हो उठे और गरजते हुए बोले प्रधानमंत्री जी मैंने आपको यहां इसलिए नहीं बुलाया कि आप हमें उपदेश दें
चंदन सिंह का युद्ध निर्णय और प्रधानमंत्री की चेतावनी
राजा आप हैं या हम प्रधानमंत्री ने हाथ जोड़कर विनम्रता से उत्तर दिया महाराज राजा तो आप ही हैं और सदैव रहेंगे लेकिन मैं हाथ जोड़कर विनती करता हूं आप राजनीति में नए हैं इसलिए राजा आनंद प्रताप पर आक्रमण करने जैसा निर्णय जल्दबाजी में ना लें कृपया इस विषय पर गहन विचार करें इसके बाद वे बोले मैं मानता हूं कि सिंधुपुर
हमारा पड़ोसी राज्य है और वह हमारे राज्य से छोटा है राजा आनंद प्रताप की सेना भी हमारी तुलना में कमजोर है आक्रमण करने पर निश्चित रूप से हमारी जीत होगी लेकिन बिना किसी ठोस कारण के सिंधुपुर पर आक्रमण करना ना तो न्यायसंगत होगा ना ही उचित चंदन सिंह गुस्से से तमतमा उठे और झुंझलाते हुए बोले बस बस प्रधानमंत्री जी बहुत हो चुका

आपका भाषण हम राजा हैं और राजा अपने निर्णय बार-बार नहीं बदलते युद्ध होगा और वह राजा आनंद प्रताप से ही होगा इसके बाद उन्होंने कठोर स्वर में आदेश दिया जाइए तुरंत सेना को युद्ध के लिए तैयार करने का आदेश दीजिए प्रधानमंत्री ने गहरी सांस लेते हुए सिर झुकाया और गंभीर स्वर में बोले जैसी आपकी आज्ञा महाराज आपको समझाना
मेरा कर्तव्य था और मैंने अपना कर्तव्य पूरा कर दिया प्रधानमंत्री ने गहरी सांस ली और कहा अब मैं सेनापति को महाराज का आदेश दे देता हूं इतना कहकर वे तुरंत सेनापति के पास पहुंचे और गंभीर स्वर
में बोले सेनापति जी महाराज चंदन सिंह ने आज ही सिंधुपुर राज्य पर आक्रमण करने का आदेश दिया है आप तुरंत सेना को एकत्रित करें और
चंदन सिंह का युद्ध अभियान और प्रधानमंत्री की चिंता
युद्ध के लिए तैयार करें सेनापति चौंक गए और बोले यह महाराज को क्या सूझा है प्रधानमंत्री जी क्या आपने उन्हें इस आक्रमण से रोकने की कोशिश नहीं की प्रधानमंत्री ने सिर झुकाते हुए उत्तर दिया सेनापति जी मैंने महाराज को बहुत समझाया पर वे अपनी जिद पर अड़े रहे अब युद्ध के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है सेनापति ने चिंतित स्वर में कहा
प्रधानमंत्री जी महाराज के आदेशों का पालन करना हमारा कर्तव्य है मेरा मतलब है सिंधुपुर राज्य पर आक्रमण करना उचित नहीं है प्रधानमंत्री ने धीरे से कहा मुझे भी यही लगता है लेकिन राजा का आदेश अंतिम होता है सेनापति ने तुरंत अपनी सेना को एकत्र किया और सैनिकों से कहा सभी सैनिक ध्यान दें तुम सब जल्दी से युद्ध की तैयारी करो महाराज चंदन सिंह
आज ही सिंधुपुर पर आक्रमण करने वाले हैं जो आज्ञा सेनापति जी सैनिकों ने एक्स्वर में जवाब दिया उसी दोपहर महाराज चंदन सिंह अपनी विशाल सेना के साथ सिंधुपुर की ओर प्रस्थान कर गए उधर सिंधुपुर राज्य में राजा आनंद प्रताप को जैसे ही इस आक्रमण की सूचना मिली वे चौंक उठे और विचार करने लगे धारा नगरी के नए राजा को यह क्या सूझा क्या प्रधानमंत्री ने उन्हें यह नहीं
राजा आनंद प्रताप का संकट और अर्चितानंद के पास भागना
बताया कि स्वर्गीय राजा धर्मवीर सिंह से हमारे कितने गहरे संबंध थे, वे बहुत सोच गए कि जब संकट आ ही गया तो युद्ध करना ही चाहिए था। लेकिन हमारी छोटी सी सेना धारा नगरी की विशाल सेना का मुकाबला कैसे करेगी फिर वे उठे और सैनिकों को आदेश दिया परिस्थिति कैसी भी हो हमें तुरंत अपनी सेना को युद्ध के लिए तैयार करना होगा
राजा आनंद प्रताप ने तत्काल ही सेना को युद्ध के लिए तैयार होने का आदेश दे दिया जल्दी ही धारा नगरी और सिंधुपुर की सेनाओं का आमनासामना हुआ कुछ ही घंटों में सिंधुपुर की सेना के कई सैनिक हताहत होकर युद्ध भूमि में गिरने लगे धीरे-धीरे सिंधुपुर की सेना कम होने लगी यह देखकर वहां के राजा के मन में डर समाने लगा वह विचार करने लगा इससे पहले कि मेरी पूरी सेना समाप्त हो जाए और धारा नगरी का नया राजा
मुझे बंदी बना ले मुझे यहां से भाग जाना चाहिए नहीं तो वह मुझे कैद करके मौत के घाट उतार देगा यही सोचकर राजा आनंद प्रताप ने अपना घोड़ा युद्ध भूमि से बाहर की ओर मोड़ लिया जल्दी ही वह युद्ध स्थल से काफी दूर पहुंच चुके थे और सोचने लगे अब मैं कहां जाऊं यही तभी उनके मन में
विचार आया कि राजमहल में महारानी और युवराज अकेले हैं मैं उन्हें अकेले ही छोड़कर आया हूं मुझे तुरंत अपने गुरु

अर्चितानंद के आश्रम में जाना चाहिए यह सोचकर वे अपने घोड़े को आश्रम की ओर मोड़ देते हैं और कुछ देर बाद अर्चितानंद के पास पहुंचते हैं वहां पहुंचकर वे कहते हैं महाराज प्रणाम अर्चितानंद चौंक कर पूछते हैं आनंद प्रताप तुम इस हालत में यहां
कैसे क्या हुआ राजा आनंद प्रताप बोले गुरुवर धारा नगरी के नए राजा ने अचानक ही सिंधुपुर पर आक्रमण कर दिया अपनी
राजमहल पर धावा और महारानी तथा युवराज की गिरफ्तारी
सेना को हारते देख मैं आपके पास भाग आया हूं अर्चितानंद गंभीर स्वर में बोले यह तो बहुत बुरा हुआ राजा आनंद प्रताप चिंतित स्वर में बोले बस गुरुवर मैं अपने राजमहल में महारानी और युवराज को अकेले छोड़कर आया हूं कहीं शत्रु उन दोनों को मौत के Other Story
घाट ना उतार दे अर्चितानंद बोले ऐसा नहीं होगा हम अभी अपने शिष्यों को भेजकर महारानी और युवराज को राजमहल से कुशल पूर्वक यहां बुलवा लेंगे आप चिंता ना करें तत्काल ही अर्चितानंद ने एक शिष्य को राजा आनंद प्रताप के पास भेजा वह घोड़े पर सवार होकर शीघ्र ही निकल पड़ा उधर युद्ध क्षेत्र में प्रधानमंत्री राजा से कहने लगा महाराज समस्त सेना हताहत हो चुकी है
अब क्या आदेश है राजा बोले प्रधानमंत्री जी राजा आनंद प्रताप अभी हमारे कब्जे में नहीं आए हैं इसलिए उन्हें बंदी बनाने के लिए तुरंत राजमहल पर धावा बोलो यह आदेश मिलते ही सैनिकों ने मारकाट मचाते हुए उस कक्ष में प्रवेश किया जहां महारानी और युवराज थे सैनिकों ने घोषणा की महाराज का आदेश है कि राजा आनंद प्रताप की महारानी
और पुत्र को गिरफ्तार करके कारागार में डाल दिया जाए जो आज्ञा महाराज इसके बाद महारानी और युवराज को बंदी बना लिया
यहां आपके दिए गए पाठ के आधार पर 5 सामान्य प्रश्न (FAQ) तैयार किए गए हैं:
1. वेद प्रकाश कौन था और वह क्या काम करता था?
वेद प्रकाश कौशल राज्य का प्रसिद्ध ज्योतिषी था। वह हस्तरेखा विज्ञान का विशेषज्ञ था और लोगों के भविष्य को देखकर उनके जीवन के बारे में सलाह दिया करता था। वह अपने ज्ञान और विद्या पर बहुत गर्व करता था और अक्सर दावा करता था कि वह किसी का भी भविष्य बदल सकता है।
2. चंदन का जीवन किस स्थिति में था जब वह वेद प्रकाश से मिला?
चंदन एक गरीब आदमी था जो अपने परिवार के साथ झगड़े के बाद घर से बाहर निकल आया था। वह थकान के कारण एक पेड़ के नीचे सो गया था, जहां वेद प्रकाश ने उसे देखा और उसके भविष्य को बदलने की पेशकश की।
3. वेद प्रकाश ने चंदन का भविष्य कैसे बदला?
वेद प्रकाश ने चंदन की हथेली पर एक रेखा खींचने के लिए उसे कटार से चोट दी। यह रेखा चंदन को उच्च पद प्राप्त करने की उम्मीद देती थी। वेद प्रकाश ने कहा कि यह रेखा चंदन को राजा बना देगी और उसने चंदन को यह वचन दिया कि वह जल्द ही राजा बनेगा।
4. चंदन के राजा बनने का तरीका क्या था?
चंदन का राजा बनना एक पुरानी परंपरा के कारण हुआ। वह जिस मंदिर में भगवान शंकर की पूजा करने गया था, वहां की परंपरा के अनुसार, जो भी पहला परदेसी मंदिर में प्रवेश करता, वह उस राज्य का नया राजा बन जाता। चंदन मंदिर में पूजा करने के बाद उसी परंपरा के तहत राजा बना।
5. राजा चंदन ने अपने पुराने जीवन को क्यों छोड़ दिया?
राजा बनने के बाद, चंदन ने अपना पुराना जीवन छोड़ दिया और अपनी पत्नी सुमित्रा और बच्चों को राज्य में बुलाने के बजाय, उन्हें अपने राजसी जीवन से बाहर रखना तय किया। उसने अपनी पत्नी को अपने नए जीवन से बाहर रखने का विचार किया और खुद को एक नए राज्य की राजकुमारी से विवाह करने की योजना बनाई।
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