
Noah's Ark प्रभु का न्याय और नूह का उद्धार
Noah’s Ark प्रभु का न्याय और नूह का उद्धार
वह समय पृथ्वी के इतिहास का सबसे अंधकारमय युग था। लोग पाप में लिप्त थे। धरती पर हिंसा, अत्याचार, व्यभचार और मूर्ति पूजा चरम पर थी। लोग परमेश्वर को

भूल चुके थे। उन्होंने अपनी इच्छाओं को ही अपना ईश्वर बना लिया था। चारों ओर अनैतिकता का बोलबाला था। लेकिन इन अंधकार के बीच एक व्यक्ति ऐसा था जो अब भी परमेश्वर की राह पर चलता था और वह था नूह जो एक धर्मी और निष्कलंक व्यक्ति था वह परमेश्वर के साथ चलता था। परमेश्वर ने नूह को देखा जो अपने युग में अकेला धार्मिक व्यक्ति था। वह ईमानदार था। दूसरों के साथ
जल प्रलय की भविष्यवाणी
प्रेम से पेश आता था और सबसे महत्वपूर्ण बात वह परमेश्वर की आज्ञा का पालन करता था। एक रात नूह प्रार्थना में लीन था। तभी अचानक उसे एक आवाज सुनाई दी। गंभीर गूंजती हुई लेकिन कोमल नूह नूह ने तुरंत सिर झुका लिया। यह वही आवाज थी जिसने पृथ्वी और आकाश को बनाया था। संसार के पाप मेरे सामने बढ़ गए हैं। मैं इस धरती को महान जल
Noah’s Ark प्रभु का न्याय और नूह का उद्धार
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प्रलय से नष्ट कर दूंगा। यह सुनकर नूह का हृदय कांप उठा। जल प्रलय पूरी पृथ्वी का विनाश परमेश्वर की आवाज फिर से आई। लेकिन मैं तुझे और तेरे परिवार को बचाऊंगा। तू एक बड़ी जहाज बना क्योंकि मैं पृथ्वी पर जल भेजने वाला हूं जो सब कुछ नष्ट कर देगा। नूह ने सिर झुका लिया। यह कोई साधारण आज्ञा नहीं थी। एक विशाल जहाज और जल प्रलय। उस समय धरती पर बारिश भी नहीं
हुई थी। लोग कैसे विश्वास करेंगे? पर नूह जानता था कि परमेश्वर जो कहता है, वह सत्य होता है। अगले ही दिन नूह ने अपने परिवार को बुलाया। उसके तीन पुत्र शेम, हाम और यापेथ और उनकी पत्नियां। उसने उन्हें बताया कि परमेश्वर ने उसे एक विशाल जहाज बनाने का आदेश दिया है। हाम ने प्रश्न किया हम इतनी बड़ी जहाज क्यों बनाएंगे?
विश्वास बनाम उपहास: नूह की जल प्रलय की तैयारी
नूह ने गंभीरता से कहा क्योंकि जल प्रलय आने वाला है। शेम ने सिर हिलाया और कहा लेकिन पिताजी अभी तक तो कभी इतनी बारिश तक नहीं हुई। फिर यह प्रलय कैसे होगा? नूह ने उत्तर दिया परमेश्वर जो कहता है, वह होता है। हमें उसकी आज्ञा माननी होगी। बिना समय गवाए उन्होंने निर्माण का कार्य आरंभ किया। नूह और उसका परिवार जब जहाज बनाने
लगे तो लोग उन पर हंसने लगे। लोग कहते कि पागल हो गया है यह नूह। जहाज बना रहा है और कहता है कि जल प्रलय आएगा। क्या उसने आसमान में कभी एक बूंद पानी गिरते देखा है? कुछ लोग आकर उसे पीटते हैं। कुछ लोग उसे मजाक उड़ाते हैं, तो दूसरे उसे पागल कहते हैं। लेकिन नूह लगातार कार्य करता रहा। Satan भी चुप नहीं था।
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वह नूह के पुत्रों को बहकाने की कोशिश करने लगा। क्या तुम्हें सच में लगता है कि तुम्हारा पिता सही कह रहा है? लेकिन नूह का परिवार परमेश्वर पर विश्वास रखता था। धीरे-धीरे जहाज बनता गया। साल बीतते गए और जहाज का ढांचा पूरा हुआ। एक रात जब नूह प्रार्थना कर रहा है। तब उसे एक शानदार दृश्य दिखाया गया। स्वर्गदूत एक चमकता हुआ प्रकाश में खड़े थे। उनका कहना था,
प्रलय का समय निकट है। तैयार रहो। नूह ने तुरंत यह संदेश अपने परिवार को बताया। अब उन्हें अगले निर्देश की प्रतीक्षा थी। क्या सच में जल प्रलय आएगा? परमेश्वर का न्याय कैसे प्रकट होगा? और लोग तब क्या करेंगे जब वे देखेंगे कि जो उन्होंने मजाक समझा वह हकीकत बन रहा है। जहाज का निर्माण पूरा हो चुका था।
जानवरों का आगमन
समय बीतता गया। लेकिन नूह को लोग अभी भी मूर्ख मानते थे। नूह की बातें उनके लिए झूठ थीं। लेकिन वे नहीं जानते थे कि जल्द ही कुछ ऐसा होने वाला था जो उनकी पूरी दुनिया को हमेशा के लिए बदल देगा। एक रात जब नूह प्रार्थना में था, परमेश्वर की आवाज फिर से गूंजी। नूह समय आ गया है। अब तुझे और तेरे परिवार को जहाज में प्रवेश
करना है और मैं पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों में से प्रत्येक जाति के दो-दो जीवों को तेरे पास भेजूंगा ताकि वे इस प्रलय से बच सके। नूह का हृदय जोश से भर गया। वह जानता था कि अब परमेश्वर का न्याय शुरू होने ही वाला था।

अगली सुबह नूह और उसका परिवार जहाज के पास खड़े थे। तभी कुछ ऐसा हुआ जिसे देखकर पूरे नगर में सनसनी
फैल गई। धरती पर हर दिशा से जानवरों के झुंड आने लगे। हाथी धीरे-धीरे चलते हुए आ रहे थे। शेर और बाघ नूह के पास जाकर शांत हो गए। कबूतर
और चीलें आकाश में उड़ते हुए जहाज की ओर बढ़ रही थी। सांप, मगरमच्छ, हिरण, भेड़, गाय, ऊंट, कछुए सभी जीवों के जोड़े जहाज की ओर बढ़ रहे थे। शहर के लोग यह देखकर हैरान रह गए। वे आपस में कहने लगे, “यह कैसा चमत्कार है? यह जानवर नूह के पास क्यों जा रहे हैं? लेकिन फिर भी उनकी आंखों के सामने यह चमत्कार होते हुए भी वे नहीं माने।
नूह की अंतिम पुकार और बंद हुआ दरवाज़ा
नूह ने लोगों को अंतिम चेतावनी दी। अब भी समय है पश्चाताप करो। परमेश्वर ने जो कहा था वह सच होने जा रहा है। जहाज में आओ ताकि तुम बच सको। लेकिन लोगों ने उसकी बातों पर फिर से हंसी
उड़ाते हुए कहा, अरे नूह तेरे इस पागलपन का अंत कब होगा? कुछ लोगों ने नूह का उपहास किया तो कुछ ने सोचा कि वह केवल डर फैला रहा है। कोई भी जहाज में प्रवेश नहीं करना चाहता था। नूह और उसका परिवार परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार जहाज में प्रवेश कर गया। जैसे ही वे अंदर गए एक रहस्यमई शक्ति ने विशाल दरवाजे को बंद कर दिया। दरवाजा अपने आप
बंद हो गया। लोग घबरा गए लेकिन फिर भी उन्होंने इसे एक संयोग ही समझा। कुछ दिन बीत गए और लोग अब भी नूह का मजाक उड़ा रहे थे और फिर आसमान में काले बादल घिरने लगे। लोगों ने पहली बार ऐसा कुछ देखा था।
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अचानक आकाश में बिजली कौधी और पहली बारिश की बूंदे धरती पर गिरी। लोगों ने ऊपर देखा और कहने लगे, क्या यह बारिश है जिसे नूह ने बताया था?
रहा था? फिर तेज हवा चलने लगी। बारिश की बूंदे बड़ी हो गई। फिर अचानक आकाश से पानी बरसने लगा जैसे किसी ने स्वर्ग के फाटकों को खोल दिया हो। धरती कांप उठी। झरनों से पानी फूट पड़ा। नदियां उभने लगी। चारों ओर पानी ही पानी फैलने लगा। लोग अब घबराकर कहने लगे नूह सही कह रहा था लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। बारिश थमने का नाम नहीं

ले रही थी। 1 दिन 2 दिन 3 दिन और 7 दिन बीत गए। लेकिन पानी बरसता ही गया। शहर जलमग्न हो गए। लोगों ने ऊंचे स्थानों पर भागने की कोशिश की। लेकिन पानी का स्तर बढ़ता ही जा रहा था। लोग जहाज के पास दौड़े और उसकी दीवारों पर दस्तक देने लगे और जोर-जोर से चिल्लाने लगे। नूह कृपया हमें अंदर आने दो। हमने गलती की लेकिन जहाज का दरवाजा परमेश्वर ने बंद कर दिया था
प्रलय के बीच आशा की किरण
यह शीर्षक उस समय को दर्शाता है जब संऔर कोई भी उसे नहीं खोल सकता था। पानी पहाड़ों तक पहुंच गया। लोग एक-एक करके बहने लगे। चीख पुकार चारों ओर मच गई। यह प्रलय था। परमेश्वर का न्याय धरती पर उतर चुका था। परंतु जहाज के अंदर नूह और उसका परिवार सुरक्षित था। एक नई दुनिया की शुरुआत होने वाली थी। लेकिन इसके लिए संपूर्ण पृथ्वी को पहले शुद्ध होना था। लेकिन क्या जहाज इस प्रलय से बच पाएगा?
नूह और उसके परिवार का भविष्य क्या होगा? क्योंकि चारों ओर जल ही जल था। एक समय जो धरती पाप और बुराई से भरी थी, अब वह पूरी तरह डूब चुकी थी। परमेश्वर का न्याय पूरा हो चुका था। लेकिन जहाज के अंदर नूह और उसका परिवार जीवित था। जहाज लहरों के बीच तैर रहा था। लेकिन क्या यह सुरक्षित रहेगा? और इस प्रलय का अंत कब होगा?
जल प्रलय का यह दृश्य अकल्पनीय था। पहाड़ पानी के नीचे डूब चुके थे। महल, घर बगीचे सब नष्ट हो चुके थे। नदियां समुद्र बन चुकी थी। हर दिशा में बस पानी ही पानी दिखाई दे रहा था। नूह और उसका परिवार जहाज के अंदर सुरक्षित तो थे, लेकिन वे भी इस अज्ञात भविष्य को लेकर चिंतित थे। शेम ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, पिताजी, यह
पानी कब उतरेगा? क्या हम फिर कभी धरती पर कदम रख पाएंगे? नूह ने उत्तर दिया, परमेश्वर ने हमें बचाने का वादा किया है।
प्रलय के बीच धैर्य और परमेश्वर का आश्वासन
हमें धैर्य रखना होगा। लेकिन जहाज लगातार झटकों से हिल रहा था। कभी तेज लहरें इसे ऊपर उठाती तो कभी गहरे पानी में धकेल देती। बाहर गर्जन तर्जन जारी था। बादलों की गड़गड़ाहट और समुद्र की दहाड़ से अंधकारमय रातें और भयानक हो गई थी। 40
दिनों तक बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी। पानी लगातार बढ़ता ही जा रहा था। जहाज के अंदर हर कोई प्रार्थना कर रहा था। वे जानते थे कि जब तक परमेश्वर की इच्छा होगी तब तक वे इस जलराश में तैरते रहेंगे। लेकिन परमेश्वर ने नूह को आश्वस्त किया। नूह डरो मत। मैं तुझे और तेरे परिवार को इस जल प्रलय से सुरक्षित निकालूंगा।
एक नए संसार की शुरुआत तुझसे ही होगी। आखिरकार 40 दिन बाद थम गई। बादल छांटने लगे। आसमान धीरे-धीरे साफ होने लगा। लेकिन
पानी अभी भी पूरी पृथ्वी पर फैला था। जहाज लहरों पर तैरता रहा। दिन, सप्ताह और फिर महीनों में बीतने लगे। नूह ने खिड़की से देखा। चारों ओर अब भी पानी ही पानी था।

नया आरंभ: जीवन की वापसी की आशा
उन्होंने अनुमान लगाया कि पानी उतरने में अभी और
समय लगेगा। एक दिन नूह ने जहाज की खिड़की खोली और एक कौवे को बाहर भेजा। कौवा जहाज से निकला और आसमान में उड़ने लगा। लेकिन वह बार-बार जहाज के आसपास ही उड़ता रहा। वह पानी पर बैठने की जगह ढूंढ नहीं पा रहा था। तब नूह समझ गया कि अब भी धरती पूरी तरह पानी में डूबी थी।
कुछ दिन बाद नूह ने एक कबूतर को बाहर भेजा। कबूतर दूर उड़ गया लेकिन थोड़ी देर बाद खाली लौट आया। इसका अर्थ था कि अभी कहीं भी सूखी भूमि नहीं थी। नूह और उसका परिवार प्रतीक्षा करते रहे। 7 दिन बाद नूह ने फिर से उसी कबूतर को भेजा। इस बार कबूतर वापस लौटा और उसकी चोंच में एक हरी जैतून की पत्ती थी। यह देखकर नूह और उसके परिवार के चेहरे खुशी से चमक उठा। देखो, यह पत्ती है। इसका मतलब
है कि कहीं ना कहीं भूमि उभर चुकी है। अब वे जानते थे कि पानी धीरे-धीरे उतर रहा था। एक और सप्ताह बीता। नूह ने फिर से कबूतर को बाहर भेजा। इस बार कबूतर वापस नहीं लौटा। अब यह स्पष्ट हो गया था कि पृथ्वी सूख रही थी और कबूतर को अब रहने के लिए कोई स्थान मिल गया था। आखिरकार एक दिन जहाज हल्की सी झटके के साथ कहीं ठहर गया।
जहाज अरारात पर्वत पर रुक चुका था। नूह और उसका परिवार परमेश्वर की स्तुति करने लगे। कुछ और हफ्ते बीते। जब नूह ने देखा कि भूमि पूरी तरह सूख चुकी है तो उसने जहाज का दरवाजा खोलने के लिए परमेश्वर से प्रार्थना की। तभी परमेश्वर की आवाज आई। नूह अब तू अपने परिवार के साथ जहाज से बाहर आ। अब पृथ्वी पर जीवन फिर से आरंभ होगा। मैं तुझसे वाचा बांधता हूं कि अब
परमेश्वर की वाचा: इंद्रधनुष का संकेत और नई शुरुआत
कभी भी इस प्रकार जल प्रलय से पृथ्वी नष्ट नहीं होगी। और मैं एक संकेत दूंगा ताकि आने वाली पीढ़ियां यह जाने कि मैं अपने वचनों में सच्चा हूं। नूह और उसका परिवार जहाज से बाहर आया। सबसे पहले नूह ने परमेश्वर के लिए एक वेदी बनाई और वहां बलिदान चढ़ाया। तभी अचानक आकाश में एक अद्भुत दृश्य प्रकट हुआ। एक चमकता हुआ इंद्रधनुष। परमेश्वर ने कहा, यह इंद्रधनुष
मेरी वाचा का चिन्ह है। यह इस बात का प्रतीक होगा कि मैं अब कभी जल प्रलय से पृथ्वी को नष्ट नहीं करूंगा। अब पृथ्वी फिर से जीवन से भरने वाली थी। नूह के तीन पुत्र शेम, हाम और यापेथ पूरी मानव जाति के नए पूर्वज बने। धरती पर फिर से पेड़-पौधे उगने लगे। पशु-पक्षी स्वतंत्र रूप से विचरण करने लगे। अब तुम पृथ्वी पर बढ़ो और फलो फूलो। यह नई शुरुआत है।

इस
प्रकार नूह और उसकी जहाज की रहस्यमई रोमांचक और आश्चर्यजनक यात्रा समाप्त हुई। परमेश्वर हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करता है। जो उसके आदेशों का पालन करता है, वह बचाया जाता है। पाप के बाद भी परमेश्वर हमें एक नया अवसर देता है। और इंद्रधनुष आज भी इस सत्य का प्रमाण है कि परमेश्वर अपने वचन को कभी नहीं तोड़ता। नूह की कहानी हमें सिखाती है कि जब परमेश्वर हमें
परमेश्वर की आज्ञा और धैर्य की शक्ति
कोई निर्देश देता है तो हमें उस पर पूर्ण विश्वास रखना चाहिए। नूह ने बिना किसी संदेह के जहाज बनाना शुरू किया। जबकि लोग उसका उपहास कर रहे थे। इसी प्रकार हमें भी दुनिया की आलोचनाओं से डरने के बजाय परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना चाहिए। नूह को जहाज बनाने में 120 साल लगे लेकिन उसने हार नहीं मानी। यह हमें सिखाता है कि
धैर्य और दृढ़ता के बिना बड़े कार्य पूरे नहीं होते। जब हम किसी अच्छे कार्य में लगे होते हैं तो कठिनाइयां और विरोध अवश्य आते हैं। लेकिन अगर हम परमेश्वर यदि हम इसी मार्ग पर चलते रहेंगे तो अंततः जीत हासिल होगी। उस समय लोगों ने नूह की
चेतावनी को मजाक समझा। लेकिन जब जलप्रलय हुआ तो कोई नहीं बच गया नहीं सका। यह हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर
हमें समय-समय पर चेतावनी देता है और हमें उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। जीवन में आने वाले संकेतों को समझना और सही समय पर सही निर्णय लेना आवश्यक है। जल प्रलय पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी था। लेकिन इसके बाद एक नया संसार शुरू हुआ। इसी तरह हमारे जीवन में कई बार कठिनाइयां और समस्याएं आती हैं जो हमें लगता है कि हमारा अंत कर
विश्वास, सत्य और परमेश्वर की रक्षा: नूह की प्रेरणादायक शिक्षा
देंगी। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि हर कठिनाई के बाद परमेश्वर एक नया मार्ग खोलता है। इंद्रधनुष परमेश्वर के उस वचन का प्रतीक है जिसमें उसने कहा कि वह फिर कभी जल प्रलय से पृथ्वी का संहार नहीं करेगा। यह हमें सिखाता है कि परमेश्वर अपने वचन को कभी नहीं तोड़ता। जब हम विश्वास से जीते हैं तो वह हमारी रक्षा करता है और हमें नई आशा देता है। नूह को
इसलिए चुना गया क्योंकि वह एक धर्मी पुरुष था। यदि हम भी चाहते हैं कि परमेश्वर हमें आशीष दे तो हमें भी सच्चाई,
ईमानदारी और भलाई का जीवन जीना चाहिए। जब पूरी दुनिया बुराई की ओर जा रही हो तब भी हमें परमेश्वर के मार्ग पर डटे रहना चाहिए। नूह की यह रहस्यमई और प्रेरणादायक कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर अपने विश्वास योग्य
लोगों की रक्षा करता है। चाहे दुनिया हमें कितना भी गलत साबित करने की कोशिश करें यदि हम सत्य के मार्ग पर अडिग रहेंगे तो परमेश्वर हमें कभी नहीं छोड़ेगा। इसलिए जीवन के हर तूफान में परमेश्वर पर विश्वास बनाए रखें क्योंकि अंततः वही हमारी राह को सुरक्षित बनाएगा और हमें एक नई शुरुआत का अवसर देगा।
यहां नूह की प्रेरणादायक और रहस्यमयी कहानी पर आधारित 5 प्रमुख FAQ (Frequently Asked Questions) दिए गए हैं जो पाठकों के मन में आ सकते हैं:
1. नूह को परमेश्वर ने क्यों चुना?
उत्तर:
नूह को परमेश्वर ने इसलिए चुना क्योंकि वह उस समय के एकमात्र धर्मी और निष्कलंक व्यक्ति थे। जब पूरी पृथ्वी पाप, हिंसा और मूर्ति पूजा से भर चुकी थी, तब भी नूह परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करते थे, सच्चाई और प्रेम से जीवन जीते थे। उनके इस विश्वास और भक्ति के कारण ही परमेश्वर ने उन्हें और उनके परिवार को प्रलय से बचाया।
2. नूह ने जहाज बनाने में कितना समय लगाया और लोग क्या प्रतिक्रिया देते थे?
उत्तर:
नूह को जहाज बनाने में लगभग 120 वर्ष लगे। इस दौरान लोग उस पर हँसते थे, उसका उपहास करते थे और उसे पागल समझते थे क्योंकि उस समय तक बारिश जैसा कुछ कभी नहीं हुआ था। लेकिन नूह ने लोगों की बातों की परवाह नहीं की और परमेश्वर की आज्ञा पर विश्वास करते हुए कार्य जारी रखा।
3. परमेश्वर ने प्रलय क्यों भेजा?
उत्तर:
धरती पर पाप, हिंसा, व्यभिचार और मूर्ति पूजा इस कदर बढ़ गई थी कि परमेश्वर का धैर्य समाप्त हो गया। मनुष्य अपने स्वार्थ और इच्छाओं के अधीन होकर पूर्ण रूप से पतित हो चुका था। इसलिए परमेश्वर ने निर्णय लिया कि वह इस बुराई से भरी पृथ्वी को जल प्रलय द्वारा नष्ट करेगा ताकि एक नई और शुद्ध शुरुआत हो सके।
4. नूह को कैसे पता चला कि प्रलय का अंत हो चुका है?
उत्तर:
प्रलय समाप्त होने के बाद नूह ने एक कौवा और फिर एक कबूतर जहाज से बाहर भेजा। जब कबूतर एक हरी जैतून की पत्ती लेकर लौटा, तो यह संकेत था कि धरती पर कहीं ना कहीं सूखी भूमि उभर चुकी है। और जब कबूतर फिर वापस नहीं आया, तो यह प्रमाण था कि अब वह कहीं टिक सकता है। इसके बाद जहाज अरारात पर्वत पर ठहर गया और परमेश्वर ने नूह को बाहर निकलने का आदेश दिया।
5. इंद्रधनुष का क्या महत्व है इस कहानी में?
उत्तर:
इंद्रधनुष परमेश्वर और मानव के बीच वाचा (Covenant) का प्रतीक है। यह एक वादा है जो परमेश्वर ने नूह से किया कि वह फिर कभी जल प्रलय से पृथ्वी का संहार नहीं करेगा। यह चिन्ह आज भी हमें यह याद दिलाता है कि परमेश्वर अपने वचनों के प्रति सच्चे हैं और विश्वास करने वालों की हमेशा रक्षा करते हैं।
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यह कहानी हमें परमेश्वर के न्याय और विश्वास की शक्ति के बारे में सिखाती है। नूह की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि सही रास्ते पर चलने वालों को हमेशा सुरक्षा मिलती है। लेकिन क्या आज के समय में भी हम इस तरह के विश्वास को बनाए रख सकते हैं? मुझे लगता है कि यह कहानी हमें धैर्य और आस्था का संदेश देती है। क्या आपको नहीं लगता कि आज के समय में भी हमें नूह जैसा विश्वास रखना चाहिए? मैं सोच रहा हूँ कि क्या हम भी अपने जीवन में ऐसी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं? क्या आपको लगता है कि यह कहानी आज के समाज के लिए प्रासंगिक है?