
Siya and the crocodile's unique friendship
Siya and the crocodile’s unique friendship | सिया और मगरमच्छ की अनोखी दोस्ती
गांव के उस सिरे पर जहां जंगल की हरियाली धीरे-धीरे पानी के बहाव में बदल जाती थी। वहीं बसी थी एक रहस्यमई नदी नगना नदी। गांव के बुजुर्ग कहते थे इस नदी में जो देखता है, वह सब भूल जाता है। डर भी दुनिया भी और खुद को भी। लेकिन सिया वैसी नहीं थी जैसी बाकी लड़कियां थी। उसकी आंखों में सवाल थे और होठों पर हमेशा एक अजीब सी मुस्कान। वो अक्सर अपने सवालों को आसमान की ओर उछालती और उम्मीद करती कि पेड़ों की फुसफुसाहट में जवाब शामिल हो जाएँ। मगरमच्छ भी मुस्कुरा सकते हैं, दादी? सिया, बिल्कुल नहीं। मगरमच्छ बहुत खतरनाक हैं। उन्हें कोई नहीं छोड़ता। ऊपर

सिया और मगरमच्छ की दोस्ती
क्या अगर कोई मगरमच्छ अकेला हो तो उसे दोस्त की जरूरत नहीं होगी। दादी कुछ पल चुप रहीं और फिर धीरे से बोली। कभी-कभी अकेलापन जानवरों को इंसान से अधिक बुद्धिमान बनाता है। सिया का मन वही रात कुछ बदल गया। सिया अगले दिन सुबह चुपचाप उठी। पुराने कपड़े पहनकर जंगल जाओ की ओर चल पड़ी। उसके हाथ में एक छोटी सी पोटली थी जिसमें कुछ चने, एक किताब और उसके बचपन का लकड़ी का खिलौना था। एक मगरमच्छ। जंगल की पगडंडियां उसे बहुत अच्छी तरह याद थी। पेड़ों की छांव में उसकी परछाई भी उसके साथ खेल रही थी। कुछ ही देर में वह नदी किनारे पहुंच गई।
नग्ना नदी की धारा शांत थी जैसे किसी रहस्य को अपने भीतर छुपाए हुए। लेकिन सिया डरती नहीं थी। वो पत्थरों पर बैठ गई और अपनी किताब खोल ली। किताब का नाम था जिन्हें जानवर दोस्त मान लें। कुछ ही पल बीते होंगे कि अचानक पानी की सतह पर लहरें उठी। सिया ने किताब बंद की और आंखें तरेर कर सामने देखा। वह आया था। एक विशाल मगरमच्छ। उसकी आंखें सुनहरी थी और त्वचा पर समय की दरारें थी। लेकिन सबसे अजीब बात यह थी कि वह शांत था। सिया मुस्कुराई। ओ हेलो। क्या तुम मेरे साथ चने खाओगे? मगरमच्छ रुका। उसकी गर्दन थोड़ी झुकी जैसे वह समझ रहा हो। सिया ने अपने सामने थोड़े
नदी, सिया और एक मगरमच्छ
से चने गिरा दिए। मगरमच्छ धीरे से आगे बढ़ा और उन्हें सूंघा। फिर बिना कुछ खाए वह सिया के बिल्कुल पास जाकर रुक गया। सिया ने कहा, “मुझे पता है तुम भूखे नहीं हो। शायद तुम भी अकेले हो जैसे मैं हूं।” उसकी यह बात हवा में नहीं गई। मगरमच्छ ने गर्दन झुका दी। जैसे स्वीकृति दे रहा हो।उस दिन से यह क्रम जारी रहा। सिया हर दिन नदी किनारे आती, साहित्य पढ़ती, गाती और मगरमच्छ से बात करती। कुछ दिनों बाद बारिश के बाद धूप से नदी पर छिटक रही थी, सिया ने साहस कर लिया। आज मैं तुम्हारी पीठ पर बैठना चाहती हूं। चलोगे मेरे साथ? मगरमच्छ धीरे से किनारे आया।

अपना सिर झुकाया और बिना किसी डर के सिया उसकी पीठ पर चढ़ गई। नदी की लहरों पर एक लड़की और एक मगरमच्छ की अजीब दोस्ती बह रही थी। नग्ना नदी की लहरों पर तैरती वह छवि अब केवल सिया के लिए नहीं थी। एक दिन कुछ लकड़हारे पेड़ों की कटाई के लिए नदी के उस पार गए। उन्होंने उसने दृश्य देखा। एक लड़की मगरमच्छ की पीठ पर शांति से लेटी हुई थी, जैसे वह एक रेशमी पालकी होती है। चेहरे सफेद हो गए। क्या यह एक सपना है? नहीं भाई, यह तो वही लड़की है। वो सिया। गांव लौटते ही यह बात हवा की तरह फैल गई। सिया मगरमच्छ पर बैठती है। कुछ लोगों ने इसे चमत्कार माना। कुछ ने पागलपन और कुछ
सिया और जलराज की अनोखी कहानी
डरने लगे। गांव की पंचायत बुलाई गई। मुखिया ने नाराज होकर पूछा, सिया तुम जानती हो ना मगरमच्छ जानवर होता है। जानलेवा होता है। सिया मुस्कुराई। वो जानवर नहीं है वह मेरा साथी है। मैंने उसे नाम दिया है। जलराज्य नाम भी धारण कर लिया। हाँ। क्योंकि वह पानी में रहने वाला एकमात्र जीव नहीं है। उसकी आँखें समझदारी है। वो मेरे मन की बात सुन सकता है। लोगों ने सिर हिला दिए। उन्हें यह बात हजम्म नहीं हुई। लेकिन एक बूढ़ा संत जो अक्सर मंदिर के पीछे बैठा रहता था, वह धीरे से उठा और बोला, बहुत समय पहले एक रक्षक मगरमच्छ था। कहा जाता था जो उसे बिना डर
के देखे और जिसके मन में लालच ना हो, वह उसका साथी बनता है। शायद यह वही समय है। गांव वालों ने उस रात डर के मारे सिया के घर की चौकी बढ़ा दी। कई लोग सोचने तुम कहते हो कि सिया जादू है। कुछ लोगों ने कहा कि सिया नदी परी बन गई है। लेकिन सिया सिर्फ दोस्ती कर रही थी। अगले दिन जंगल की पुकार सिया अगली सुबह फिर नदी की ओर गई। लेकिन आज वहां एक बेचैनी थी। नदी की सतह स्थिर नहीं थी। जलराज दिखा नहीं। सिया ने कई बार आवाज़ दी। मैं आ गया हूँ, जलराज। आज आप चुप क्यों रहे हैं? कोई उत्तर नहीं। वह घंटों किनारे बैठी रही। फिर थक कर वहीं सो
सिया बनी जल की रक्षक
गई। तभी हल्की सी सरसराहट से उसकी नींद खुली। वह जलराज था। पर आज उसकी आंखों में अजीब सी बेचैनी थी। क्या हुआ? सिया ने उसके माथे को छुआ जैसे वह कोई इंसान हो। उसने इशारे में कुछ कहा और नदी की गहराई की ओर देखा। सिया समझ गई। कोई खतरा है। क्या मुझे चलना होगा तुम्हारे साथ? जलराज धीरे से झुका। सिया उसकी पीठ पर चढ़ गई। नदी के नीचे की ओर वो दोनों बहने लगे। नदी के गर्भ में जैसे-जैसे वह भीतर जा रहे थे, रोशनी कम होती जा रही थी। अचानक पानी का रंग बदल गया। चारों तरफ नीलापन छा गया और फिर सामने एक पत्थर की गुफा उभरी। उसके द्वार पर कुछ लिखा था। केवल वही प्रवेश

पाएगा जिसने भय की जगह विश्वास रखा हो। सिया ने जलराज की आंखों में देखा। क्या यह तुम्हारा घर है?मगरमच्छ ने गर्दन हिलाई और दोनों गुफा में घुसते ही एक रहस्य सामने आया। नदी के नीचे एक प्राचीन मगरमच्छ बस्ती सब मगरमच्छ सिया को देखकर झुक गया। जैसे उसे जानते हो। एक वृद्ध मगरमच्छ
सामने आया और मन की भाषा में बोला, “तुम वही हो जिसकी भविष्यवाणी की गई थी। जल की रक्षक, मगरमच्छों की मित्र। गुफा के भीतर सिया के चारों ओर रहस्य और जादू की एक लहर फैल गई थी। पानी में तैरती नीली रोशनी की किरणें, मगरमच्छों की चमकती हुई आंखें और वह वृद्ध
सिया बनी जलधारा देवी का पुनर्जन्म
मगरमच्छ जिसने सिया को जल की रक्षक कहा था। यह सब मिलकर जैसे उसे किसी दूसरी दुनिया में ले आए थे। सिया ने गहरी सांस ली और कहा, “मैं समझ नहीं पाई। यह सब क्या है? क्यों मुझे चुना गया।” वृद्ध मगरमच्छ ने अपनी भारी आवाज में कहा, सदियों पहले इस नदी की रक्षा एक लड़की ने की थी। वो इंसान थी पर उसकी आत्मा जल की थी। जब उसने नदी को सूखने से बचाया तब मगरमच्छों ने उसे जलधारा देवी कहा। उसके जाने के बाद भविष्यवाणी हुई थी कि वह फिर लौटेगी। किसी नए रूप में किसी नए नाम से सिया चौंक गई। आपका मतलब है मैं वहीं हूं। हां, जलराज ने तुम्हें पहचाना। वह
तुम्हारा रक्षक है। वह तुम्हारी आत्मा की पुकार सुन सकता है। सिया की आंखें नम हो गई। उसके मन में कभी-कभी जो आवाजें आती थी, पानी की लहरें, गीली मिट्टी की खुशबू और नदी की गूंज। अब उन सबका मतलब समझ में आ रहा था। जलराज की सच्चाई सिया धीरे से जलराज की ओर मुड़ी। तुमने कभी कुछ नहीं कहा। लेकिन तुमने सब कुछ महसूस करवाया। जलराज आगे बढ़ा और अपना सिर उसकी गोद में रख दिया। उसके माथे पर एक निशान उभरा। त्रिकाल चिन्ह जो केवल रक्षक मगरमच्छों को मिलता था। वृद्ध मगरमच्छ बोला जलराज कोई साधारण जीव नहीं है। वह स्वयं उस पहली रक्षिका का साथी था। जब वह गई तब जलराज ने
सिया का वादा: जल का सम्मान
व्रत लिया कि वह अगली रक्षिका का इंतजार करेगा। सदियों तक अकेला बिना बोले सिया की आंखों से आंसू निकल पड़े। मैं उसे कभी अकेला नहीं छोडूंगी। गांव में कोहराम उधर गांव में सिया की लगातार अनुपस्थिति चिंता का विषय बन गई थी। कुछ लोगों ने उसे नदी में डूबा हुआ मान लिया था। कुछ ने उसे जलपरी घोषित कर दिया था। लेकिन मुखिया का बेटा अर्जुन जो सिया से बचपन से ही प्रेम करता था वह मानने को तैयार नहीं था। सिया जिंदा है। मैं जानता हूं वो आएगी और जब आएगी तो हम सबको सच्चाई का सामना करना होगा। सिया का निर्णय गुफा में वृद्ध मगरमच्छ ने सिया से पूछा अब निर्णय
तुम्हारा है रक्षिका क्या तुम इस दुनिया की रहनुमा बनोगी या अपने संसार में लौट जाओगी सिया शांत रही फिर उसने मुस्कुरा कर कहा मैं लौटूंगी लेकिन छुपने नहीं सच बताने ताकि दुनिया जाने कि
मगरमच्छ सिर्फ शिकारी नहीं रक्षक भी होते हैं और कोई भी रिश्ता डर पर नहीं भरोसे पर बनता है वृद्ध मगरमच्छ ने सिर हिलाया तो जाओ जल तुम्हारा साथ देगा

और जलराज हमेशा तुम्हारे पीछे होगा। गांव की सुबह आम दिनों जैसी नहीं थी। आसमान कुछ ज्यादा नीला था और नदी किनारे की हवा में एक अलग सी नमी थी जैसे कोई लंबा सफर तय करके कोई लौट आया हो। तभी गांव की ओर से बच्चों की
सिया लौटी विश्वास की ताकत लेकर
आवाजें आई। वो आ गई। सिया दीदी लौट आई। लोग दौड़ पड़े। सिया चल रही थी अपने उसी शांत आत्मविश्वास के साथ। पर उसकी आंखों में अब एक अलग चमक थी और उसके पीछे धीरे-धीरे नगना नदी से निकलता हुआ आया जलराज। गांव में सन्नाटा छा गया। एक लड़की और मगरमच्छ में बिना डर बिना शोर। यह दृश्य किसी ने कभी नहीं देखा था। मुखिया उठे। सिया यह सब क्या है? क्या तुम जादू से लौटी हो? सिया मुस्कुराई। अगर दोस्ती करना जादू है तो हां मैं जादू से लौटी हूं। पर यह जादू डर से नहीं समझदारी और विश्वास से बना है। मगर मगरमच्छ यह आम मगरमच्छ नहीं हैं। इसका नाम जलराज है। ये
तुम्हें नहीं खाएगा। यह अब तुम्हारी भी रक्षा करेगा। अगर तुम इसे दुश्मन नहीं साथी समझो। लोग स्तब्ध थे। किसी ने जीवन में ऐसा ना देखा था। संदेह और विरोध हर कोई सिया की बात से सहमत नहीं था। कुछ युवा बोले यह मगरमच्छ गांव के लिए खतरा है। अगर एक दिन इसकी सोच बदल गई तो अर्जुन सामने आया खतरा तो हम भी बन सकते हैं बंदूक, आग और घृणा के साथ। मगर विश्वास अगर तुम नहीं कर सकते तो सिया को मत रोको। वृद्ध संत जो मंदिरजिसमें वे रहते थे, वे कहते थे कि नदी कभी किसी की नहीं होती। लेकिन आत्मा से जुड़े व्यक्ति उसे समझ सकते हैं। Sia की बातें मुझे सच्ची लगती हैं। मुसीबत

सिया और जलराज ने मिलकर नदी बचाई
दस्तक शांति लंबे समय तक नहीं टिकती। कुछ दिनों बाद गांव से कुछ दूर एक निर्माण कंपनी आई। बड़ी-बड़ी मशीनें खनन का प्रस्ताव और नदी को मोड़ने की योजना। हमें यहां बांध बनाना है। जलाशय चाहिए। गांव वालों को मुआवजा मिलेगा। इंजीनियर ने कहा पर सिया भड़क उठी। अगर तुम इस नदी को मोड़ोगे तो यह सिर्फ पानी नहीं होगा जो बहेगा। तुम सब कुछ बहा दोगे। नदी के अंदर एक जीवन है, एक सभ्यता है जिसे तुम नहीं समझ सकते। कंपनी ने हंसकर कहा, मगरमच्छ और बच्चियों की कहानियां हमें मत सुनाओ। हमें सिर्फ काम चाहिए। जलराज का गुस्सा रात को सिया ने जलराज से कहा। अब समय आ गया है।
तुम नहीं बोलते लेकिन तुम्हारा गुस्सा इस नदी की रक्षा करेगा। पर वादा करो किसी इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाओगे। सिर्फ उन्हें डराओ, समझाओ कि जल की आत्मा जाग चुकी है। अगली सुबह जब कंपनी के लोग मशीन लेकर नदी में घुसे, नदी की सतह फट गई। चारों ओर से मगरमच्छ निकल आए। शांत पर भयंकर। जलराज सबसे आगे। उसने जमीन पर आकर अपने पंजे जोर से पटके। उसकी आंखों में वो गहराई थी जिसने मशीनों को रोक दिया। इंजीनियर डर के मारे पीछे हटा। हम हम कुछ नहीं करेंगे। वापस जा रहे हैं। गांव की जीत गांव वालों ने पहली बार महसूस किया कि सिया की बातों में सच्चाई थी। एक लड़की और
एक मगरमच्छ ने मिलकर नदी को बचा लिया था। अब गांव में कोई जलराज को जानवर नहीं कहता। बच्चे उसे बुलाते हैं और वह किनारे आकर शांत बैठ जाता है। सिया की कहानी अब केवल गांव तक सीमित नहीं रही। लोग दूर-दूर से उसे देखने आने लगे।
नगना नदी और सिया की कहानी पर 5 महत्वपूर्ण सवाल-जवाब (300 शब्दों में)
1. नगना नदी की क्या खासियत थी?
नगना नदी गांव के उस छोर पर थी जहां हरियाली पानी में बदल जाती थी। बुजुर्गों के अनुसार, जो इस नदी में देखता वह सब कुछ भूल जाता था। लेकिन सिया डरती नहीं थी बल्कि इस नदी से दोस्ती करना चाहती थी।
2. सिया और जलराज की दोस्ती कैसे हुई?
सिया को बचपन से सवाल पूछने की आदत थी। एक दिन वह नदी किनारे गई और वहां एक विशाल मगरमच्छ ‘जलराज’ से मुलाकात हुई। वह उसे चने खिलाती और कहानियां सुनाती थी। धीरे-धीरे दोनों के बीच गहरा रिश्ता बन गया।
3. गांव वालों ने सिया की दोस्ती को कैसे देखा?
गांव वाले शुरुआत में डरे और सिया को पागल कहने लगे। पंचायत ने उसे समझाया कि मगरमच्छ खतरनाक होते हैं, लेकिन सिया ने कहा कि जलराज उसका दोस्त है। धीरे-धीरे गांव के कुछ लोग सिया की बात समझने लगे।
4. जलराज और सिया ने नदी को कैसे बचाया?
जब एक निर्माण कंपनी नदी को मोड़ने आई, तो जलराज और बाकी मगरमच्छों ने बिना किसी हिंसा के लोगों को डरा दिया। लोगों को समझ आ गया कि नदी की आत्मा जाग चुकी है। कंपनी पीछे हट गई और नदी बच गई।
5. इस कहानी से क्या सिख मिलती है?
यह कहानी सिखाती है कि जानवर भी दोस्त बन सकते हैं। डर नहीं, विश्वास रिश्ता बनाता है। प्रकृति को बचाना हर किसी का कर्तव्य है। जलराज और सिया की दोस्ती इसका जीता-जागता उदाहरण है।
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