
The story of the prince of the underworld पाताल लोक की कहानी
The story of the prince of the underworld पाताल लोक की कहानी
प्राचीन काल की बात है एक नगर में एक राजा राज किया करते थे राजा के पास हर तरह की सुख सुविधाएं सब कुछ था लेकिन उनको कोई संतान नहीं थी इसी कारण राजा और रानी दोनों बहुत ही चिंतित रहा करते थे राजा और रानी अनेक तरह के धार्मिक अनुष्ठान पूजा

पाठ करते हैं लेकिन उन्हें कोई लाभ नहीं होता है इसी प्रकार अनुष्ठान पूजा पाठ करते करते हैं समय के साथ-साथ राजा रानी दोनों की आयु 4050 साल वर्ष बीत जाते हैं अब एक दिन राजा और रानी यह सोचकर चिंता में सोचने लगते हैं अब राज्य का क्या होगा हमारे राज्य का वारिस कौन बनेगा इतना बड़ा राज्य है इसको कौन संभालेगा कौन हम हमा प्रजा की जिम्मेदारी संभालेगा अब राजा और रानी दिन रात इसी चिंता में डूबने लगते हैं एक दिन सुबह की बात है कि राजा के दरबार में एक साधु आता है तभी दासी दौड़ कर के रानी के पास जाती है और कहती है कि रानी साहिबा दरबार में कोई भिक्षा मांगने
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अंतिम दान धर्म
आया है तभी रानी दासी से कहती है कि यह मेरा अंतिम दान धर्म है और इतना कहकर रानी चावल से भरा हुआ एक कटोरा हाथ में लेकर के बाहर आती है और साधु की झोली में में डाल देती है तब वह साधु महारानी के चेहरे पर छाई हुई व्याकुलता को देखकर पूछता है कि हे महारानी क्या हुआ आप इतना दुखी क्यों है रानी उस साधु को अपनी दुख भरी कहानी बताते हुए रोने लगती है साधु को रानी पर दया आ जाती है और कुछ पल गंभीर होने के बाद साधु कहने लगता है कि चिंता मत करो पुत्री आपकी संतान की इच्छा पूरी हो जाएगी आपकी कोक से एक पुत्र जन्म लेगा परंतु वह 16 वर्ष तक ही आप लोगों के साथ रहेगा उसके
आगे वह इस मृत्यु लोक में नहीं रह पाएगा इससे बढ़कर आपको कुछ देना मेरे लिए संभव नहीं है अपनी बात पूरी करते हुए साधु अपनी झोली में हाथ डालता है और थोड़े से चावल निकालकर रानी को दे देते हुए कहता है कि आप और राजा दोनों इस चावल की खीर बनाकर खा लेना इससे तुम्हें पुत्र की प्राप्ति होगी इतना कहकर वे साधु वहां से चला जाता है उस साधु के जाने के बाद रानी सोचने लगती है कि कम से कम 16 वर्ष के लिए हमें पुत्र तो मिल संतान की जो हमारे मन में इतने दिन से इच्छा मरी पड़ी हुई है वह जीवित हो जाएगी फिर रानी अपना सारा काम काज खत्म करने के
साधु का दिया वरदान
बाद रानी राजा के पास जाती है और राजा को जाकर साधु सारी बात बता देती है और साधु महाराज यह चावल हम दोनों को खीर बनाकर खाने के लिए कहा है तब राजा कहने लगता है इतना दान धर्म किया है जब उसका ही कोई फल नहीं मिला तो इस खीर में हमें संतान की प्राप्ति कहां कि से होगी तब रानी कहने लगती है हे राज जब इतना सब कुछ किया तो अब इतना भी कर लेते हैं हो सकता है इसके बाद ईश्वर हमारी इच्छाओं को पूरी कर दे उस साधु का यदि हम कहना नहीं मानेंगे तो वह साधु नाराज हो जाएगा उस राजा को अब किसी पर विश्वास नहीं करते हैं लेकिन पत्नी को दुख ना पहुंचे इसलिए वह राजा राजी हो जाता

है एक दिन राजा और रानी दोनों स्नान करके भगवान और उस साधु का नाम लेते हुए उस चावल से खीर बनाते हैं और दोनों खा लेते हैं इसके बाद निश्चित होकर के राजा और रानी दोनों हो जाते हैं इसी प्रकार कुछ दिन बीत जाते हैं इधर साधु के कहे अनुसार रानी गर्भवती हो जाती है फिर जब इस बात को रानी राजा से कहती है तो राजा बड़ा प्रसन्न हो जाता है राजा रानी से कहने लगता है कि रानी सचमुच साधु महाराज की कृपा हमारे ऊपर बरस पड़ी है नौ माह के बाद पूरे समय के अनुसार रानी बहुत सुंदर पुत्र को जन्म देती है राजा बड़ी ही धूमधाम से पुत्र का नामकरण करवाते हैं और सारे राज्य में कई
सोलह वर्षों की उम्र
दिनों भंडारा चलवा देता है उत्सव मनाया जाता है और पुत्र की कुंडली को देखने के लिए राज्य के सबसे बड़े विद्वान पंडित को राजा बुलवा है दोस्तों पंडित जब उस पुत्र की कुंडली को देखता है तो पंडित जी कुंडली देख कर के बहुत चिंतित हो जाते हैं और कहने लगता है कि महाराज जो यह तुम्हारा पुत्र है वह सिर्फ 16 साल तक ही जीवित रहेगा राजा को इस बात की भनक भी नहीं थी रानी को साधु महाराज की बात याद आ जाती है दोनों चुप रह जाते हैं उसके बाद राजा और रानी बड़े लाड़ प्यार से बेटे का पालन पोषण करते हैं तब राजा रानी दोनों सोचने लगते हैं कि चलो थोड़े समय के लिए सही
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भगवान ने संतान की अपनी मुराद पूरी कर ही दी है अब धीरे-धीरे कुछ समय ऐसे ही बीत जाता है समय के साथ-साथ राजा का पुत्र भी बड़ा होने लगता है जब वह सात वर्ष का हो जाता है तो राजा एक अच्छे गुरु की नियुक्ति करके उसे अच्छी शिक्षा दिलवा है और राजकुमार जब वह शास्त्र विद्या में पारंगत हो जाता है और 12 वर्ष की उम्र में राजा एक अच्छी सी राजकन्या देख कर कर उस बालक की शादी करवा देते हैं इसी प्रकार दो-तीन साल बीत जाते हैं राजकुमार जब 15 साल का हो जाता है तो एक दिन वह राजा से कहता है कि पिताजी मैं अपने राज्य को घूम कर के देखना चाहता हूं आज तक मैंने इस राज
राजकुमार की अंतिम यात्रा
दरबार और इस महल के सिवाय बाहर कुछ नहीं देखा है राजकुमार की बात को सुनकर राजा बड़ा परेशान हो जाता है मेरे प्यारे दोस्तों अब अनहोनी होने का वक्त नजदीक आ चुका था लेकिन राजा यह सब बातें पुत्र को नहीं बताना चाहता था राजा अपने चेहरे पर खुशी लाकर के बेटे से कहता है हां जरूर जाओ बेटा तुम्हें अपना सारा राज्य घूम कर देखना चाहिए कहां क्या है यह जानना बहुत जरूरी है मेरे बाद तुम्हें ही को इस राज्य का राजा बनना है परंतु बेटा मेरी एक बात का ध्यान रखना तुम जहां जा रहे हो क्या कर रहे हो यह बात अपनी पत्नी को कभी मत बताना तब राजकुमार कहता है ठीक है पिताजी आपने

जो भी कहा है मैं वैसा ही करूंगा एक दिन क्या होता है कि पत्नी के साथ मौज मस्ती करता है खुशियां मनाता है और रात को ठीक 12 बजे बिस्तर से उठकर बाहर चला जाता है और सुबह होने से पहले वह वापस अपने महल में आकर के सो जाता है ऐसे बहुत दिनों तक चलता रहता है अब राजकुमार का 16 वर्ष खत्म होने में कुछ ही दिन का समय शेष रह जाता है प्यारे दोस्तों एक दिन की बात है उसकी पत्नी राजकुमारी रात में जाग जाती है राजकु देखती है कि बेड पर राजकुमार नहीं मिलता है फिर महल में सब जगह देखती है पर वह कहीं नजर नहीं आता है फिर सुबह होने पर वह देखती है कि उसका पति अपने बेड पर सोया
राजकुमारी की चिंता
हुआ मिलता है वह पति से कुछ नहीं पूछती है लेकिन जब दूसरी रात भी वैसे ही होता है और ऐसे ही ऐसे कई दिनों तक चलता रहता है तब राजकुमारी इस तरह के व्यवहार को देखकर बहुत चिंतित हो जाती है और सोचती है कि पति रोज रात को कहां जाता है इस प्रकार राजकुमारी के मन में अनेक तरह के सवाल उठते हैं लेकिन पूछने में उसे डर लगता है कि शायद पत्नी के पूछने पर पति को गुस्सा आ जाता है और वह गुस्से में आकर कुछ भी कर बैठे सास ससुर से पूछने के बारे में सोचती है तो उसकी कुल मर्यादा बीच में आ जाती है सोचने लगती है कि इस बात को अपने सास ससुर
से क्यों पूछती है इसी तरह से मन ही मन में वह कोसती रहती है इस हालात से उसे खाने पीने में किसी प्रकार की कोई दिलचस्पी नहीं रहती है धीरे-धीरे वह एकदम से दुबली पतली होकर कमजोर होने लगती है एक दिन की बात है कि एक फूल बेचने वाली बूढ़ी मालिन आती है वह हमेशा राजकुमारी को फूल देने के लिए महल में आया करती थी उस बुढ़िया का ध्यान राजकुमारी पर जाता है और वह राजकुमारी से पूछती है कि बेटी क्या बात तुम क्यों दुखी हो मैं देख रही हूं कि तुम दिन प्रतिदिन कमजोर होती जा रही हो तब राजकुमारी कहने लगती है माता राजकुमार प्रत्येक रात्रि को बिस्तर से उठकर कि
पीछे छुपा एक सच
कहीं चला जाता है और सुबह होने से पहले ही वापस आकर के अपने बिस्तर पर सो जाता है वह कहां जाता है किससे मिलता है यह सब सोच करके मेरा मन बड़ा दुखी होता है और दुख और चिंता के कारण मैंने खाना पीना सब कुछ छोड़ दिया है राजकुमारी की बात सुनकर उस बुढ़िया के मन में एक उपाय आता है और कहती है कि बेटा ऐसा करना कि आज रात तुम सोना मत उसके पीछे जाकर के देखना कि वह कहां जाता है और क्या करता है किससे मिलता है तब रानी कहती है पर मुझे नींद आ गई तो क्या करूं वह बूढ़ी मां कहती है तुम अपने हाथ की उंगली में एक छोटा सा जखम कर लेना फिर रानी कहती है पर मुझे नींद आ गई तो
क्या करूंगी तब बूढ़ी मां कहती है कि नींद ना आए इसलिए एक काम करना तुम अपने हाथ की उंगली में एक छोटा सा जखम बना लेना और उस पर थोड़ी सी मिर्च उस पर छिड़क लेना उससे तुम्हें जलन होगी और उस दर्द से तुम्हें रात भर नींद नहीं आएगी दोस्तों रानी बूढ़ी मां के कहे अनुसार अपनी उंगली में एक छोटा सा जखम बनाकर उस पर थोड़ी सी मि मिर्च लगा लेती है और फिर उसे नींद नहीं आती है लेकिन थोड़ी देर के बाद वह सो जाती है फिर

दूसरे दिन सुबह बुढ़िया जब फूल लेकर के आती है और राजकुमारी के महल में पहुंचती है और पूछती है कि क्या तुमने पता कर लिया कि तुम्हारा पति कहां जाता है और क्या करता है तब राजकुमारी कहती है कि अम्मा पहले कुछ समय तक तो जलन के कारण मुझे नींद नहीं आती है लेकिन जैसे ही जलन शांत होती है उसके बाद सो जाती है फिर मुझे पता नहीं चलता है तब वह बुढ़िया कहती है कि कोई बात नहीं आज तो अंगुली पर पहले से थोड़ा बड़ा जखम बना लेना और उस पर ज्यादा मिर्च लगा लेना जिससे रात को नींद नहीं आएगी दोस्तों राजकुमारी वैसा ही करती है आज रात उसे नींद नहीं आती है राजकुमार रात के 12 बजे बिस्तर से उठकर जब महल से निकलने के लिए आगे बढ़ता है तो राजकुमारी आकर के पति के सामने रास्ता रोक कर के खड़ी हो जाती The story of the prince of the underworld पाताल लोक की कहानी
प्रेम की अंतिम परीक्षा
और कहती है कि आप कहां जा रहे हो और मुझे यह बता कि तुम किससे मिलने के लिए जा रहे हो राजकुमारी अपने पति को इस तरह से देख कर के वह से बहुत समझाने की कोशिश करता है और कहता है कि देखो अगर तुम्हें यह बात बता दिया तो मैं तुम्हें दोबारा नहीं मिल पाऊंगा तब राजकुमारी कहती है कि कोई बात नहीं ना मिल पाओ तो ना सही लेकिन आज रात आप कहां जाते हो क्या करते हो किससे मिलते हो वह राजकुमार अपनी पत्नी की जिद के आगे बिल्कुल असहाय हो जाता है और उस राजकुमारी की जिद्द के आगे उसकी एक नहीं चलती है और ठीक ठीक उसी समय उसका सवा साल पूरा होने
वाला था और 17 वां साल लगने वाला था इसलिए राजकुमार को चावल अपने हाथ में लेकर अपनी पत्नी को देता है और कहता है कि देखो इन चावलों को दोनों हाथों में अपनी मुट्ठी में पकड़ लेना पहले तुम दाएं हाथ में पड़े चावल मेरे ऊपर फेंक देना तब तुम्हें पता चल जाएगा कि मैं कौन हूं और बाद में बाएं हाथ में पड़े हुए चावल मेरे ऊपर फेंक देना जिससे मैं तुम्हें वापस मिल जाऊंगा लेकिन दोस्तों राजकुमार आगे कहता है यदि तुम बाएं हाथ के चावल मेरे ऊपर फेंकना भूल गई तो मैं तुम्हें कभी नहीं मिल पाऊंगा रानी बड़े आत्मविश्वास के साथ कहकर दाएं हाथ
प्रेम की खोज शुरू
में पड़े चावल पति के ऊपर फेंक देती है चावल फेंकते ही वह राजकुमार एक सुंदर घोड़े में परिवर्तित हो जाता है और वह तेजी से दौड़ने लगता है राजकुमारी उस घोड़े को देख कर के घबरा जाती है राजकुमार ने राजकुमारी से बाएं हाथ के चावल फेंकने की जो बात कही थी वह सब राजकुमारी भूल जाती है उसकी आंखों के सामने वह घोड़ा महल से बाहर चला जाता है घोड़ा महल से बाहर जाता है तो वापस कभी लौटकर नहीं आता है राजकुमारी को बड़ा पश्चाताप होता है अब वह स्वयं को कोसने लगती है लेकिन अब क्या हो राजकुमार तो अब वापस नहीं आने वाला है इधर जब सुबह होती है तो महाराज और महारानी को

यह सब बात पता चलता है तो उन्हें बहुत दुख होता है वे बिस्तर पकड़ लेते हैं और अपने बेटे का इंतजार करने लगते हैं वह यही सोचते हैं कि एक दिन उनका बेटा वापस जरूर आएगा इसी तरह से धीरे-धीरे करके छ महीने बीत जाते हैं लेकिन राजकुमार का अब तक कोई पता नहीं चल पाता है राजकुमार को ढूंढने के लिए गांव जंगल सिपाही भेजे जाते हैं लेकिन कोई सफलता नहीं मिलती है अपनी जिद्द के कारण अपना पति खो चुकी थी यही सोचकर राजकुमारी मन ही मन अपने आप को कोसती रहती है मेरे प्यारे दोस्तों एक दिन वह प्राण लेती है कि कुछ भी हो जाए मैं अपने पति को
किसी तरह से ढूंढ करके उसे वापस लेकर आऊंगी यही प्रण लेकर के वह महाराज और महारानी से आज्ञा लेने राज महल से निकल जाती है इधर महाराज और महारानी अपनी बहू को जाने की आज्ञा दे देते हैं राजकुमारी भेस बदल कर के एक सेठानी बन जाती है और अपने साथ कुछ नौकर और दसियों को लेकर के थोड़ा सा कुछ सामान अपने साथ में लेकर राज्य की सीमा पर चली जाती है और वहां एक धर्मशाला खोल लेती है वहां आने वाले सभी यात्रियों को मुक्त में खाना खिलाने लगती है और उनसे कहती है कि तुम्हें जो खाना खाना है और बदले में अजीब राजकुमार की कहानी राजकुमारी को सुनानी होगी अब तो
गाय का रहस्यपूर्ण मार्ग
वहां आने वाला हर मुसाफिर अपनी तरफ से कुछ ना कुछ सुनाकर जाता था और वहां से मुक्त का खाना खाकर जाता था परंतु राजकुमारी को जो बात जाननी थी वह अभी तक सुनने को नहीं मिलती है ऐसे कई दिन बीत जाते हैं एक दिन राजकुमारी के महल में फूल लेकर आने वाली बुढ़िया अपने घर का खाना बनाने के लिए इधर-उधर से कंडे बीन कर लाती है जिससे उसका घर का भोजन बनता था इसी तरह वह बुढ़िया एक दिन अपने सिर पर टोकरी लेकर के चरवाहे के मैदान में जाती है वहां बहुत सारे कंडे थे उन्हें जमा करते-करते उसे काफी अंधेरा हो जाता है जब वह बुढ़िया अपने घर की तरफ निकली तो गांव का जो
The story of the prince of the underworld पाताल लोक की कहानी
रास्ता था वह ठीक तरह से उसे दिखाई भी नहीं दे रहा था और वहां अंधेरे में अपनी आंखें फाड़ फाड़ कर आगे चलने की कोशिश करती है तभी एक सुंदर सी सफेद गाय छनछन की आवाज करते हुए जिसके गले में एक घंटी थी ठुमक ठुमक कर उस मैदान की ओर आ रही थी गाय को देखकर बुढ़िया सोचने लगती है कि इस गाय के पीछे पीछे जाऊंगी तो गांव तक मैं अवश्य पहुंच जाऊंगी यही सोच कर के वह बुढ़िया उसके पीछे-पीछे चलने लगती है वह गाय उस मैदान को पार करती हुई आगे बढ़ रही थी उस मैदान पर एक कोने में एक बड़ा सा पत्थर था तभी गाय जाकर उस पत्थर को अपनी सींग से हटा देती है पत्थर के हटते ही वहां से
जाने के लिए नीचे सीढ़ियां दिखाई देने लगती हैं जब वह गाय उन सीढ़ियों से जाने लगती है तब बुढ़िया यह सब देखती रहती है और झुंड में जाकर उस गाय की पूंछ को पकड़ लेती है और पूंछ पकड़कर वह गाय के साथ-साथ नीचे पाताल लोक में पहुंच जाती है पाताल में पहुंचते ही तुरंत गाय की पूंछ को उस बुढ़िया छोड़ देती है और इधर-उधर देखने लगती है वहां बुढ़िया देखती है कि पाताल लोक में सभी जगह जगमगाहट करके दीप जल रहे हैं और तेज रोशनी गाय के ऊपर पड़ रही थी और वहां अद्भुत अजीब तरह की घटनाएं घट रही थी गाय के वहां पहुंचते ही गाय के गले में रस्सी पड़ जाती है और छमछम करके कोई दो उस गाय का दूध निकालने लगती है Other story
यहाँ इस अद्भुत और पाताल लोक की कहानी पर आधारित पाँच प्रमुख Frequently Asked Questions (FAQ)
राजा और रानी की संतान की इच्छा: एक नगर में एक राजा और रानी रहते थे, जिनके पास सब कुछ था, लेकिन कोई संतान नहीं थी। उन्होंने कई धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ किए, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। समय के साथ उनकी चिंता बढ़ गई, और एक दिन राजा के दरबार में एक साधु आया। साधु ने राजा और रानी को आशीर्वाद दिया कि उनकी संतान की इच्छा पूरी होगी, लेकिन उनके पुत्र की उम्र केवल 16 वर्ष तक होगी। उन्होंने रानी को चावल से बनी खीर खाने का सुझाव दिया, जिससे उनकी संतान की प्राप्ति होगी।
राजकुमार की जन्म और उसकी कुंडली: रानी ने साधु के बताए अनुसार खीर बनाई और खाई, जिसके बाद रानी गर्भवती हो गई। नौ महीने बाद रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया, और राजा ने भव्य आयोजन किया। जब पंडित ने बच्चे की कुंडली देखी, तो उन्होंने बताया कि राजकुमार की आयु सिर्फ 16 वर्ष तक होगी, जिसे सुनकर राजा और रानी परेशान हो गए।
राजकुमार का बड़ा होना और शिक्षा प्राप्त करना: राजकुमार ने 16 साल की उम्र तक बढ़ते हुए शास्त्रों में शिक्षा प्राप्त की और उसे शादी भी करवा दी गई। 15 साल की उम्र में उसने अपने राज्य की सैर करने की इच्छा जताई, पर राजा को चिंता थी कि उसका समय खत्म होने वाला था। राजा ने उसे सैर करने की अनुमति दी, लेकिन एक शर्त के साथ कि उसे अपनी पत्नी को कुछ नहीं बताना है।
राजकुमार का रहस्य: राजकुमार ने अपनी पत्नी से झूठ बोला और रात को महल से बाहर जाने लगा। उसकी पत्नी ने उसके रहस्यों का पता लगाने के लिए एक बूढ़ी महिला से मदद ली, जिन्होंने उसे सलाह दी कि वह राजकुमार के पीछे जाए और पता लगाए कि वह कहां जाता है। पत्नी ने ऐसा किया और पता चला कि राजकुमार ने उसे एक चमत्कारी चावल दिया था, जिससे वह घोड़े में बदल गया और महल से बाहर चला गया।
राजकुमारी का पश्चाताप और संतान का खोज: राजकुमारी अपने पति को ढूंढने निकल पड़ी और एक धर्मशाला खोलकर यात्रियों से राजकुमार के बारे में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की। एक दिन उसे एक बूढ़ी महिला ने बताया कि वह पाताल लोक में पहुंच गई थी और वहां राजकुमार से जुड़ी एक और रहस्यमयी घटना के बारे में जानकारी दी। राजकुमारी अपने पति को खोजने की कोशिश जारी रखती है।
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