
Vikramaditya and Betal The mysterious story | राजा विक्रमादित्य और बेताल की रहस्यमई कहानी
राजा विक्रमादित्य बेताल को उठाकर चल दिए बेताल ने कहानी सुनानी शुरू की राजन कालांतर में एक समय की बात है वाराणसी में प्रताप मुकुट नामक एक अत्यंत प्रतापी राजा राज करता था उसके परिवार में उसकी पत्नी तथा एक ब्रज मुकुट नाम का पुत्र था ब्रज मुकुट की अपने राज्य के मंत्री के पुत्र रत्न राज के साथ गहरी दोस्ती थी वे दोनों प्रायः साथ-साथ खेलते कूदते और साथ ही बैठकर भोजन आदि करते थे समय के साथ-साथ दोनों बड़े और गहरे मित्र बन गए एक समय की बात है कि वे दोनों शिकार खेलने एक घने वन में गए वहां राजकुमार को एक हिरण दिखा जिसके पीछे उसने अपना घोड़ा सरपट दौड़ा
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राजकुमार का मृग का पीछा करना
दिया उसका मित्र पीछे रह गया हिरण का पीछा करते-करते राजकुमार किन-किन दिशाओं में मूड़ा और कितनी दूर आ पहुंचा था इसका उसे स्वयं भी पता ना चला एक बड़े ही सुंदर उद्यान के करीब आते-आते उसका घोड़ा रुक गया और थकावट के कारण बुरी तरह हांफ लगा राजकुमार ने देखा कि मृग भी उसकी नजरों से ओझल हो चुका था राजकुमार ने घोड़ा वृक्ष के तने से बांध दिया और स्वयं भी उसी वृक्ष की छाया में विश्राम काम करने लगा अभी उसे वहां बैठे थोड़ा ही समय गुजरा था कि एक बौना राक्षस वहां प्रकट हुआ और बोला तुम कौन हो और बिना आज्ञा इस उद्यान में कैसे घुसाए तुम जो कोई भी हो तुरंत यहां
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से चले जाओ राजकुमारी संध्या पूजन के लिए यहां आने वाली है यदि उन्होंने तुम्हें यहां देख लिया और नाराज हो गई तो तुम्हारे साथ-साथ मैं भी मुसीबत में फंस जाऊंगा राजकुमार ने कहा मैं अभी चला जाऊंगा भाई तुम निश्चिंत रहो राजकुमारी के आने से पहले ही चला जाऊंगा वह राक्षस जो वास्तव में उद्यान का माली था निश्चिंत होकर चला गया राजकुमार कुर भी उठकर अपने घोड़े को वापसी के लिए दुरुस्त करने लगा बेताल बोला राजन संयोग देखो कि उसी समय राजकुमारी अपनी सखियों के साथ पूजा करने मंदिर की ओर निकल आई राजकुमार ने उसे देखा तो देखता ही रह गया उस पर नजर पड़ने के बाद यही हालत
राजकुमारी का मंदिर की ओर बढ़ना
राजकुमारी की भी हुई वह भी उसे एक टक देखती रही फिर राजकुमारी अपनी सखियों के साथ मंदिर की ओर बढ़ गई मंदिर में से पूजा करके जब वह निकली तब भी राजकुमार को उसी स्थान पर खड़े पाया तब राजकुमारी ने उसकी ओर देखकर एक संकेत किया उसने जुड़े में लगा कमल का फूल हाथ में लेकर कान से छुआ या फिर दांत से कुतर कर पांव के नीचे रखा सबसे अंत में उसने उसे उठाकर सीने से लगा लिया फिर अपनी सखियों के साथ वह एक ओर को चल दी राजकुमार उसके जाते ही उदास होकर फिर वृक्ष के नीचे बैठ गया कुछ ही समय गुजरा था कि उसका मित्र रत्न राज उसे खोजते खोजते उसी दिशा में आ निकला मित्र other story
राजकुमार का राजकुमारी की हरकतों का बयान
से मित्र के मन की बात छिपी ना रह सकी राजकुमार ने राजकुमारी की कमल के फूल वाली सारी हरकत बयान कर दी उसका मित्र सुनकर बोला मित्र इस प्रकार उसने तुम्हें परिचय सहित अपने दिल की पूरी बात बता दी यानी वह भी तुमसे मोहब्बत करती है उतावला सा होकर राजकुमार ने पूछा तुम इस नतीजे पर कैसे पहुंचे मित्र जरा मुझे भी तो कुछ बताओ रत्न राज बोला सुनो मित्र पहले उसने जुड़े में से कमल का फूल निकालकर कान से छुआ दिया इसका अर्थ है कि वह कर्नाटक राज्य की रहने वाली है फिर उसने दांत से कुतरा जिसका अर्थ हुआ कि वह राजा दंतवाला दबाकर उसने अपना नाम बताया कि Vikramaditya and Betal The mysterious story | राजा विक्रमादित्य और बेताल की रहस्यमई कहानी
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उसका नाम पद्मावती है फूल को अपने सीने से लगाकर उसने इस बात का संकेत दिया है कि वह भी तुम्हें चाहती है यह जानकर ब्रज मुकुट की खुशी का ठिकाना ना रहा वह अपने मित्र से बोला मित्र तब तो हमें शीघ्र ही कर्नाटक देश की राजधानी चलना चाहिए राजकुमार और रत्न राज ने अपना घोड़ा कर्नाटक देश की राजधानी की ओर दौड़ा दिया वहां आकर रत्न राज ने पता किया कि राजकुमारी तक कैसे पहुंचा जा सकता है तब उन्हें पता लगा कि एक बूढ़ी मालिन है जिसने बचपन में राजकुमारी की धाय बनकर उसका पालन पोषण किया था वह दिन में एक बार राजकुमारी को देखने अवश्य ही जाती है
दोनों बुढ़िया के मकान पर पहुंचकर दरवाजे पर दस्तक देते हैं बुढ़िया बाहर आकर पूछती है क्या बात है भाई कौन हो तुम लोग हम परदेशी हैं माई और कुछ दिन यहां रुककर दंतवाला ठहरने का स्थान मिल सकता है तनिक हैरत सी जाहिर करते हुए बुढ़िया ने कहा अरे बेटा ठहरने के लिए तो तुम्हें किसी धर्मशाला या सराय में जाना चाहिए यहां क्यों आए हो मंत्री का पुत्र बड़ा चतुर था फौरन बोला देखो मां हमारा संबंध पड़ोस के राजघराने से है हमारे पास धन दौलत की भी कमी नहीं है इसलिए किसी सार्वजनिक स्थान पर रुकना हमें शोभा नहीं देगा बुढ़िया सोचने लगी देखो बेटा यदि ऐसी बात है तो
मंत्री पुत्र का बुढ़िया से संदेश
तुम यहां रुक जाओ मैं इस बड़े मकान में अकेली ही रहती हूं मेरे यहां कोई नौकर चाकर नहीं है इसलिए अपने कार्य तुम्हें स्वयं ही करने होंगे इस प्रकार वे उस बुढ़िया के घर में ठहर गए बुढ़िया का यह नियम था कि वह सुबह या शाम एक बार राजकुमारी को देखने महल में जरूर जाती थी एक दिन मंत्री पुत्र ने बुढ़िया से बोला मां क्या आप हमारा एक संदेश राजकुमारी तक पहुंचा सकती हैं बुढ़िया ने हैरा नियत से पूछा कैसा संदेश बेटा वह बोला आप राजकुमारी से केवल इतना कह दीजिएगा कि मंदिर के बगीचे में जिसे उसने देखा था था वह आ पहुंचा है पहले तो बुढ़िया ने मना Vikramaditya and Betal The mysterious story | राजा विक्रमादित्य और बेताल की रहस्यमई कहानी
किया लेकिन फिर बातचीत में चतुर रत्न राज ने संदेश ले जाने के लिए बुढ़िया को राजी कर ही लिया बुढ़िया चली तो गई मगर घंटे भर बाद जब वापस आई तो काफी घबराई हुई थी आकर उसने बताया बेटा तुम तो कहते थे कि कुछ नहीं होगा मगर मेरी तो जान के लाले पड़ गए अब कल राजा मुझे ना जाने क्या दंड दे धैर्य से मंत्री पुत्र ने पूछा आखिर हुआ क्या मां कुछ बताओ तो सही मैंने जब राजकुमारी को तुम्हारा संदेश दिया तो उसने हाथों पर चंदन लगाकर मेरे गाल पर तमाचा मारा और मुझे बा धकेल दिया यह सुनकर राजकुमार तो बुरी तरह घबरा गया किंतु उसका मित्र रत्न राज खिलखिला करर हंस पड़ा
राजकुमार और मित्र का संवाद
राजकुमार बोला मित्र तुम हंस क्यों रहे हो मित्र तुम व्यर्थ ही घबरा गए और मां तुम भी मत घबराओ दरअसल राजकुमारी ने इस प्रकार अपना संदेश भेजा है राजकुमार और बुढ़िया आश्चर्य से उसका मुंह ताकते रह गए उसने बताया मित्र राजकुमारी ने संदेश भेजा है कि पांच रोज चांदनी के बीते तब खबर देना फिर बुढ़िया दूसरे दिन डरती डरती जब राजमहल गई तो राजकुमारी ने उसके साथ बड़ा ही मधुर व्यवहार किया बुढ़िया का सारा डर जाता रहा और अब कहीं जाकर उसे विश्वास हुआ कि राजकुमारी ने सचमुच ही इस प्रकार अपना संदेश भेजा था पांच दिन गुजर गए छठे दिन जब बुढ़िया महल से लौटी तो उसके गाल पर
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फिर से आधा थप्पड़ छपा था बुढ़िया ने बताया कि राजकुमारी ने उसे पश्चिमी दरवाजे की ओर धकेल दिया था रत्न राज ने बताया मित्र आज आधी रात के बाद महल के पश्चिमी द्वार पर राजकुमारी तुम्हें इंतजार करती मिलेगी राजकुमार की खुशी का तो ठिकाना ही ना रहा राजकुमारी से मिलने की कल्पना करते ही उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा जैसे-तैसे आधी रात गुजरी और वह किले के पश्चिमी द्वार पर जा पहुंचा राजकुमारी उसे फौरन महल के भीतर ले गई अगले दिन जब वह वापस आया तो बड़ा उदास था रत्न राज को उसे उदास देखकर बड़ी हैरानी हुई वह कुछ उलझन में पड़ गया और अपने मित्र से पूछा क्या
राजकुमारी और राजकुमार के विवाह में अड़चन
बात है मित्र अपनी प्रेमिका से मिलकर आने के बाद भी तुम इतने उदास हो जबकि तुम्हें तो खुश होना चाहिए आखिर बात क्या है मित्र राजकुमारी मुझसे बेहद प्यार करती है परंतु उसका और मेरा विवाह नहीं हो सकता रत्न राज चौक कर बोला विवाह नहीं हो सकता यह तुम कैसी बातें कर रहे हो मित्र जब वह तुम्हें चाहती है और तुम भी उसे चाहते हो तो भला विवाह में क्या अड़चन है राजकुमार ने बताया उसके पिता ने उसका रिश्ता कहीं और पक्का कर दिया है रत्न आज बात सुनकर गहरी सोच में डूब गया और बोला तुम मुझे एक दिन सोचने के लिए दो मित्र मैं तुम्हारे और
उसके मिलन की कोई ना कोई युक्ति अवश्य ही निकालू कल जाते समय मैं तुम्हें एक युक्ति अवश्य बताऊंगा उस रात राजकुमार बिस्तर पर पड़ा करवटें बदलता रहा उसकी आंखों के सामने से एक पल के लिए भी राजकुमारी का चेहरा नहीं हट रहा था उसे बेसब्री से बस सवेरा होने का इंतजार था अगले दिन राजकुमार को रत्न राज ने एक स्याही देकर कहा जब राजकुमारी सो जाए तो तुम उसकी जांघ पर स्याही से एक त्रिशूल का निशान बनाकर उसके जेवर उतार लाना राजकुमार घबरा कर बोला क्या कह रहे हो मित्र इस प्रकार तो मैं उसका विश्वास खो दूंगा तुम इन मामूली बातों की चिंता मत करो और जैसा मैंने
रत्न राज की चतुराई और गुरु के पास ले जाना
बताया है वैसा करो राजकुमार बड़ी कठिनाई से इस कार्य के लिए राजी हुआ दूसरे दिन उसने अपने मित्र के कहे अनुसार सारा कार्य किया और राजकुमारी के जेवर चोरी करके वापस आ गया उसके आने के बाद रत्न राज ने योगी का वेष धारण कर लिया तथा राजकुमार को भी वैसा ही वेष धार धारण करवाकर अपना चेला बना लिया और दोनों जंगल में जाकर एक कुटी बनाकर वहां रहने लगे थोड़े दोनों बाद वह राजकुमार से बोला जाओ मित्र राजकुमारी के इन जवरों को बाजार में बेच आओ राजकुमार घबरा कर बोला बाजार में बेच आऊं क्या तुम मुझे मरवाना चाहते हो मित्र इस प्रकार तो मैं पकड़ा जाऊंगा रत्न राज मुस्कुरा कर
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बोला यही तो मैं चाहता हूं मित्र कि तुम पकड़े जाओ जब तुम पकड़े जाओ तो साफ-साफ बता देना कि यह जेवर मुझे मेरे गुरु ने दिए हैं जब राजा के सिपाही मेरे पास आएंगे तो मैं स्वयं निपट लूंगा राजकुमार अब सारी बात समझ गया अब तक जो जो घटनाएं घटी थी उन्हें देखकर राजकुमार को अपने मित्र की बुद्धि पर पूरा भरोसा हो गया था कि वह जो कुछ भी कर रहा है उसके हित के लिए ही कर रहा है अतः वह जेवर लेकर बाजार में चला गया और एक जहरी के यहां जाकर जेवर बेचने की इच्छा व्यक्त की वह नगर की सबसे बड़ी दुकान थी और वही जहरी राज परिवार के जेवर बनाकर दिया करता था जहरी ने उन गहनों को
देखते ही सिपाहियों को बुलाकर राजकुमार को गहनों सहित उन्हें सौंप दिया सिपाहियों ने पूछा तुझे यह जेवर कहां से मिले राजकुमार बोला मुझे तो मेरे गुरु ने दिए हैं सिपाहियों के बड़े अधिकारी ने पूछा कौन है तुम्हारा गुरु कहां है उसे लेकर सिपाही उसके गुरु के पास पहुंचे और रत्न राज को भी हिरासत में लेकर राजा के समक्ष पेश किया राजा ने पूछा तुम्हारे पास यह जेवर कहां से आए रत्न राज ने उत्तर दिया महाराज मेरे पास कल रात एक चुड़ैल आई थी मैंने उसकी जांग में त्रिशूल मारकर ये सभी जेवर उतरवा लिए थे उसकी बात सुनकर राजा आश्चर्य में पड़ गया चुड़ैल हां महाराज वह बड़ी ही
राजा का निर्णय और राजकुमारी का देश निकाला
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भयानक थी राजा ने एक गुप्त संदेश रानी के पास भेजा तो वहां से उत्तर आया कि हां राजकुमारी की जांग पर एक त्रिशूल का निशान है बस फिर क्या था राजा ने तुरंत राजकुमारी को देश निकाला दे दिया राजा के सिपाही उसे जंगल में छोड़ गए राजा ने उन साधुओं को भी छोड़ दिया राजकुमार तुरंत वेश बदलकर जंगल की ओर चल दिया राजकुमार ने उसे सब कुछ सच-सच बता दिया कि उसे पाने के लिए ही उसने और उसके दोस्त ने मिलकर यह नाटक रचा था सुनकर राजकुमारी बेहद खुश हुई उसे उसके मन का मीत मिल गया था राजकुमार उसे लेकर अपने राज्य में आ गया और विवाह करके सुख पूर्वक रहने लगा यहां तक कि
प्रेम और मोह के प्रभाव
कहानी सुनाने के बाद बेताल ने पूछा अब बोलो विक्रमादित्य है हालांकि राजकुमारी को उसका मनपसंद वर मिल गया मगर राजकुमारी को किस बात की सजा मिली वह आरोप तो मिथ्या था उस आरोप का दोष किस पर है राजकुमार पर मंत्री पुत्र पर सिपाहियों पर या राजा पर राजन यदि तुमने जानते बूझ भी इस प्रश्न का उत्तर ना दिया तो तुम्हारा सिर टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा राजा विक्रमादित्य ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए कहा सुनो बेताल राजकुमार ने जो कुछ भी किया प्रेम मोह में किया कहते हैं की मोहब्बत और जंग में सब जायज होता है मंत्री पुत्र ने जो कुछ भी किया वह मित्र
के लिए किया सिपाहियों ने अपना कर्तव्य पूरा किया इसलिए उनका भी कोई दोष नहीं है मगर हां राजा ने बिना सोचे विचारे निर्णय लिया इसलिए इस प्रकरण का मुख्य दोषी वही है विक्रम के बोलते ही बेताल फिर पेड़ से जाल अटका
FAQ – कहानी के बारे में हिंदी में 5 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न यहां दिए गए हैंः
- कहानी में ब्रज मुकुट और रत्न राज का किस प्रकार का संबंध था?
- ब्रज मुकुट और रत्न राज के बीच गहरी दोस्ती थी। दोनों बचपन से साथ-साथ खेलते थे, भोजन करते थे और एक-दूसरे के अच्छे मित्र थे।
- राजकुमार और राजकुमारी के बीच पहली मुलाकात कैसे हुई?
- राजकुमार एक शिकार के दौरान एक सुंदर उद्यान में पहुंचा, जहां उसने राजकुमारी को देखा। राजकुमारी भी उसे देख रही थी, और उसके बाद उसने अपनी भावनाओं का संकेत कमल के फूल के माध्यम से दिया, जिससे राजकुमार को समझ में आया कि वह भी उसे चाहती है।
- रत्न राज ने राजकुमार को क्या सलाह दी थी?
- रत्न राज ने राजकुमार को यह सलाह दी कि राजकुमारी का संदेश समझने के लिए उसे कुछ संकेतों पर ध्यान देना चाहिए और उसे अपने अगले कदम को सावधानी से उठाना चाहिए। उसने राजकुमार को बताया कि वह राजकुमारी से मिलकर, उसे समझाने का तरीका निकालेगा।
- राजकुमार और राजकुमारी के विवाह में क्या समस्या आई थी?
- राजकुमार और राजकुमारी के बीच गहरी सच्ची प्रेम था, लेकिन राजकुमारी के पिता ने उसकी शादी किसी और से तय कर दी थी, जिससे उनके विवाह में अड़चन आई।
- राजा विक्रमादित्य ने बेताल के सवाल का उत्तर किस प्रकार दिया?
- राजा विक्रमादित्य ने बेताल के सवाल का उत्तर देते हुए कहा कि इस मामले में मुख्य दोषी राजा था, क्योंकि उसने बिना पूरी जानकारी के राजकुमारी पर आरोप लगाया और उसे देश निकाला दे दिया। वहीं, राजकुमार और मंत्री पुत्र ने अपने मित्र के लिए जो किया, वह प्रेम और मित्रता के कारण था।
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