
राज सिंहासन Spiritual Stories
राज सिंहासन Spiritual Stories
दोस्तों, बहुत समय पहले एक बहुत बड़ा प्रसिद्ध शहर था, जहां एक राजा राज्य किया करता था. राजा बूढ़ा होने पर तो उसकी जो रानियां थी वह उस राजा की अपेक्षा करने लगती हैं राजा रानियों की अपेक्षा को बर्दाश्त नहीं कर सकता था और वह चिंतित रहने लगता है राजा अपने बुढ़ापे से चिंतित होकर एक दिन अपने राज वैद्य को बुलवा है और कहता है वैद जी क्या आप कोई इस तरह की दवाई तैयार कर सकते हैं जिससे मेरी खोई हुई जवानी को वापस प्राप्त कर सकूं तब वह वैद सोचता है कि यह राजा तो बड़ा ही मूर्ख है यह फिर से जवान होना चाहता है यह जानता

है कि इस संसार में व्यक्ति यदि एक बार बूढ़ा हो जाता है तो दोबारा वह जवान नहीं हो सकता और फिर भी यह मुझसे कह रहा है कि मुझे ऐसी दवाई तैयार करके दो जिससे मेरी खोई हुई जवानी मुझे वापस मिल जाए यह राजा जब इतना मूर्ख है तो इससे धन निकलवाना कोई बुरी बात नहीं होगी की इसलिए मैं कोई ऐसी तरकीब लगाता हूं जिससे यह राजा मेरी ही चाल में फंस जाए अब तो उस राजवेद के मन में राजा के प्रति जो भावनाएं थी और उस राजा की मूर्खता पर वह उसका राज्य पाठ भी हड़प लेना चाहता था तब वह वैद राज कहता है कि हे राजन दवा तो मैं तैयार कर सकता हूं राज सिंहासन Spiritual Stories
और उस दवा को मैं जानता भी हूं और आपको पूरी तरह से लाभ भी होगा लेकिन इसके लिए मेरे द्वारा जो भी बातें हैं उनको आप को स्वीकार करनी होगी और मेरी सभी बातों को मानना होगा तब राजा कहता है कि कौन सी बातें हैं तब वैद्य कहता है कि इसके लिए करीब 15 दिन तक आपको तहखाने में रहना होगा और तभी यह दवा आपके ऊपर प्रभाव डाल पाएगी और तहखाना ऐसी जगह होना चाहिए जहां पर सूर्य की किरण नहीं पहुंच सके यह दवा तभी अपना प्रभाव दिखा पाएगी उस वैद्य की बात सुनकर राजा कहता है कि ठीक है और राजा तहखाना बनवाने का आदेश दिलवा देता है और जब तक तहखाना तैयार होता है तब तक आप मेरे
तहखाने में उपचार की शर्त और वैद्य की चालाकी”
लिए दवा तैयार कर लीजिए तब राजा की बात को सुनकर वैद कहने लगता है कि राजन तहखाना तो आप तैयार करवाएंगे लेकिन मेरी एक शर्त और भी है वह भी आपको माननी होगी उस तहखाने में आपको अकेले रहना होगा और आपका सेवक जो भी आप तक दवा और भोजन पहुंचाएगा वह केवल तहखाने के दरवाजे पर ही रखकर वापस चले जाएंगे यदि मंजूर हो तो मैं तुम्हें दवा तैयार करो लेता हूं तब राजा कुछ सोच विचार कर उस वैद्य की बात मानने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाता है और मन ही मन राजा बड़ा ही खुश होता है कि मेरी जो खोई हुई जवानी है वह वापस आ जाएगी और इधर वैद्य मन
में यह सोच रहा था कि यह राजा मूर्ख है मैं इससे काफी धन लूट लूंगा और इसके बाद इसके राज्य पर मेरा ही शासन हो जाएगा क्योंकि जब राजा मेरे कहने के अनुसार तहखाने में चला जाएगा तो राज्य का जो भी कार्य है वह मेरे हिसाब से चलेगा यही सोचकर उस वैद्य ने राजा को तहखाने में पहुंचा देता है और दोस्तों उसका उपचार करने का वह ढोंग करने लगता है और उसने राजा से कहता है कि राजन अब कुछ ही दिनों के बाद आपका बुढ़ापा दूर होने वाला है और आपके स्वास्थ्य पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ने वाला है तब तक आपके शरीर पर जो खाल लटकी हुई है जो चेहरे पर आपकी
झुरियां हैं यह सब दूर होने लगेंगी और आपका शरीर बहुत ही बलशाली और एक जवान इंसान की तरह हो जाएगा आपकी रानियां जब आपको देखेंगी तो एकाएक देख कर के वह पहचान भी नहीं पाएंगी दोस्तों वह वैद अपनी इस प्रकार से चालाकी दिखा रहा था कि मानो वह स्वयं ही भगवान हो उस वैद्य की बात को सुनकर राजा बड़ा प्रसन्न होता है और कहने लगता है कि वैद्य जी हम तो यही चाहते हैं यदि मेरी खोई हुई जवानी फिर से मुझे वापस मिल जाए तो मैं तुम्हें मुंह मांगा इनाम दूंगा और इतना धन दूंगा कि तुम्हारी आने वाली पीढ़ियां भी मालामाल हो जाएंगी दोस्तों एक तरफ तो वह वैद्य राजा को जवान
राजा का हमशक्ल और वैद्य की नई चाल
बनाने का ढोंग करता रहता है और दूसरी तरफ जंगल के रास्ते से एक सुरंग खुदवा करके उस तहखाने से मिलवा देता है और इसके बाद में वह एक ऐसे व्यक्ति की तलाश करने लगता है जो राजा का बिल्कुल हमशक्ल हो जिसकी शक्ल राजा से मिलती जुलती हो लेकिन वह व्यक्ति जवान होना चाहिए एक दिन वैद्य जंगल के रास्ते से होकर जा रहा था तभी वह देखता है कि नदी के तट पर स्नान करता हुआ एक व्यक्ति वैसा ही दिखाई देता है जैसा वह चाहता था उसकी शक्ल सूरत बिल्कुल उस राजा से मिलती जुलती थी उसे देखकर वह वैद्य उस व्यक्ति के पास पहुंच जाता है और कहने लगता है कि हे नौजवान लगता है कि इस नगर राज सिंहासन Spiritual Stories
में पहली बार आए हो और तुम कहां के रहने वाले हो तब वह व्यक्ति कह है हे श्रीमान जी आपने बिल्कुल ठीक पहचाना मैं इस नगर में पहली बार ही आया हूं लेकिन आप मुझसे यह सब क्यों पूछ रहे हो तब वैद्य कहता है कि मैं आपसे इसलिए पूछ रहा हूं कि तुम मुझको अपना मित्र समझ सकते हो अगर तुम मेरा कहना मानोगे और मेरे काम के लिए तुम तैयार हो जाओगे तो मैं तुम्हें इस नगर का राजा बना सकता हूं वैद्य की बात सुनकर वह युवक बहुत आश्चर्य चकित हो जाता है और वह कहने लगता है कि आप कैसी बात कर रहे हो क्या आपका दिमाग सही है तब वैद्य कहता है कि मेरा दिमाग पूरी तरह से सही है और मैं

इस राज्य का राजवेद हूं और मैं जो चाहता हूं वही कर सकता हूं उस वैद्य की बात सुनकर वह व्यक्ति कहता है कि यह तो बड़ी खुशी की बात है जब आप इतने प्रभावशाली व्यक्ति हैं तो आप मुझे राजा बना सकते हैं लेकिन राजा बनने के लिए मुझे क्या करना होगा तब वैद्य कहता है कि सिर्फ कुछ दिनों के लिए तुम मेरे द्वारा बताए गए एक तहखाने में रहना होगा लेकिन जैसे ही तुम तहखाने से बाहर आओगे तो सीधे राज सिंहासन पर जाकर के बैठ जाओगे और तुम इस राज्य के राजा बन जाओगे वैद्य की बात को सुनकर वह व्यक्ति कहने लगता है लेकिन ऐसे कैसे मैं राज महल में जाकर सीधा राजा के सिंहासन पर बैठ
हमशक्ल की सहमति और वैद्य की आगे की चाल
जाऊंगा मुझे तो यहां कोई जानता भी नहीं है अगर किसी ने मुझे इस गुस्ताखी के लिए पहचान लिया तो मुझे जेल के सलाखों में कैद कर दिया जाएगा और कौन मुझे बाहर निकलवाए और इस प्रकार वह युवक थोड़ी देर के लिए तो डर जाता है लेकिन वैद जैसे तैसे करके उस व्यक्ति को इस काम के लिए मना लेता है और कहता है कि मैं जैसा कहता जाऊं वैसा करते जाओगे तो तुम कुछ ही समय में इस राज्य का राजा बन जाओगे तब वह व्यक्ति कहता है कि मुझे आपका यह काम स्वीकार है लेकिन मुझे कितने दिनों तक इंतजार करना होगा तब वह वैद कहता है कि तुम्हें कुछ ही महीनों के
लिए तहखाने में रहना होगा बहुत कम समय में ही तुम्हारा इंतजार खत्म हो जाएगा ज्यादा से ज्यादा एक दो महीने तक तुम्हें तहखाने में रहना होगा इसके बाद मेरी जो भी योजना है उसी के अनुसार मैं अपना काम करूंगा राजवेद की बातें सुनकर वह व्यक्ति कहता है कि ठीक है और पास ही में एक गांव पड़ता है उसी गांव के बाहर एक झोपड़ी है वहीं पर मैं रहता हूं यदि आप चाहे तो किसी भी युवक को या खुद आकर के मुझे वहां से बुला सकते हैं तब वैद्य कहता है कि ठीक है फिर वह वैद वहां से वापस आ जाता है और उसने अपनी योजना का काम जल्दी-जल्दी करने लग जाता
राजा की हत्या और हमशक्ल की ताजपोशी की तैयारी
है दोस्तों एक रात की बात है वैद्यराज बूढ़े राजा के खाने में चुपके से जहर मिला देता है और उस जहर के कारण उस राजा की मृत्यु हो जाती है तब वैद उस राजा की लाश को कंधे पर लात करके उस सुरंग के रास्ते से बाहर निकल जाता है और जंगल में जाकर के एक बड़ा सा कुआं था उसी में राजा की लाश को फेंक देता है और फिर वही सुरंग के रास्ते उस व्यक्ति को उसी खाने में लाकर वहां बिठा देता है और उससे कहता है कि तुम्हें यहां कुछ ही दिनों में यहां से ले चलूंगा जैसे ही तुम्हारी दाढ़ी और मुझे बड़ी हो जाएगी और फिर तुम एक राजा के जैसे दिखाई देने लग
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जाओगे मैं तुम्हें निकाल कर के सीधे राज भवन में पहुंचा दूंगा और तुम इस तरह से रहना कि जैसे बुढ़ापे से छुटकारा पाकर तुम नई तरह से जवान हो गए हो तब वह व्यक्ति कहता है कि यदि मुझे किसी ने पहचान लिया तो क्या होगा तब वैद्य बहुत ही चालाकी से उस आदमी से कहता है कि यह सब मुझ पर छोड़ दो जो भी होगा मैं संभाल लूंगा तुम्हें सिर्फ इतना करना है कि मैं जो भी कह रहा हूं वैसा ही करना है उसी के अनुसार तुम्हें चलना है और इसके बाद वह वैद्य वहां से निकलकर राज दरबार में पहुंच जाता है और जो भी वहां पर मंत्री और सभासद थे उन सबके पास पहुंचकर कहता है कि आप सभी
जवान राजा की वापसी और वैद्य की अंतिम चाल
एक बहुत खुशखबरी की बात मेरी दवा ने महाराज के ऊपर ऐसा असर किया है कि महाराज फिर से जवान हो गए हैं और कल वह महल में आएंगे और आप लोग उनके स्वागत के लिए तैयार हो जाना उस वैद्य की बात सुनकर सभी मंत्री बड़े प्रसन्न हो जाते हैं और कहने लगते हैं कि हम अपने राजा के नए रूप का भरपूर स्वागत करेंगे दोस्तों फिर वहां से वैद सीधा रानियों के दरबार में पहुंच जाता है और वही बात उन दोनों रानियों से भी कह सुनाता है इस बात को सुनकर दोनों रानियां प्रसन्न हो जाती हैं उन्होंने वैद को बहुत सारा धन निकाल कर देती हैं दोस्तों अब योजना के
अनुसार वैद अगले दिन तहखाने से उस व्यक्ति को लाकर के राज महल के सिंहासन पर बिठा देता है फिर उस नए राजा को सभी रानियां और वहां के मंत्री देख कर के हैरान हो जाते हैं क्योंकि वह राजा बिल्कुल एक युवा पुरुष दिखाई देने लगा था फिर भी उनकी दोनों रानियां और उनके मंत्री इस बात से सहमत हो जाती कि यही उनके राजा है इतना ही नहीं उस वैद्य ने राजा बने युवक से यह भी कहा था कि राजन आपका जो पुराना नाम था मैं आप बदल दीजिए क्योंकि अब आपका शरीर भी नया हो गया है इसलिए आपका नाम भी नया होना चाहिए तब वह व्यक्ति कहता है कि वैद जी आपसे अच्छा

नाम और कौन रख सकता है जब आपने मुझे बुढ़ापे से जवान बना दिया है तो आप एक अच्छा सा नाम सोच करके रख दीजिए फिर उस वेद ने जो भी नाम राजा का रखा वह सभी को पसंद आता है और सभी उसकी सराहना करते हैं वह राजा बना व्यक्ति अब एक नए नाम से जाना जाने लगता है इस नए नाम से उस राजा की राज महल में जय जयकार होने लगती है कुछ दिन तो राजा और जो वैद था वह सब एक दूसरे के इशारों पर चलते रहते हैं लेकिन परिस्थितियां जब उस राजा के अनुकूल जब हो जाती हैं और सब कुछ सामान्य हो जाता है तो उसने वैद्य की अपेक्षा करना शुरू कर देता है यह देख कर के वह वैद्य वह बड़ा ही दुखी
सिंहासन का घमंड
होने लगता है और इस प्रकार एक दिन उसने एकांत में राजा से कहता है कि राजा सिंहासन प्राप्त करते ही आपने मेरी उपेक्षा करना शुरू कर दिया है आपको याद है आपने मुझको वचन दिया था तब उस वैद्य की बात सुनकर वह राजा कहने लगता है कि कैसा वचन किस वचन की बात कर रहे हो तब वह वैद्य कहता है कि मैं उस वचन की बात कर रहा हूं जो आपने मुझसे पहले वादा किया था कि आप भविष्य में राज काज मेरे ही आदेश के अनुसार चलाएंगे लेकिन आप तो मुझसे कुछ भी नहीं पूछते हो राज्य को अब आप मंत्रियों के परामर्श से ही चलाते हो तब राजा उस वैद्य से कहता है कि तुम वैद्य हो मंत्री
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नहीं इसलिए तुम्हारा परामर्श लेना मेरे लिए आवश्यक नहीं है दोस्तों इस बात को सुनकर वैद्य क्रोधित हो जाता है और चेतावनी भरे हुए स्वर में कहने लगता है कि राजन यह मत भूलिए कि इस राज्य सिंहासन पर मैंने आपको प्रतिष्ठित किया है मेरे ही प्रयास के कारण आप इस राज्य के राजा बने हैं तब राजवेद की बातें सुनकर राजा बना व्यक्ति कहता है कि तुम झूठ बोल रहे हो तुम कैसी बातें कर रहे हो तुम मुझे राज सिंहासन पर बिठाने वाले कौन होते हो यह राज सिंहासन मैंने अपने पूर्व जन्म के कर्मों से प्राप्त किया है मैंने पूर्व जन्म में अच्छे कर्म किए थे और उसी का
प्रमाण है कि मैं आज राजा बना हुआ हूं यह सिंहासन हमें अपने पूर्व जन्मों के तप और त्याग के फल स्वरूप प्राप्त हुआ है तब वैद्य कहता है कि यह आप कैसी बातें कर रहे हो तब राजा बना व्यक्ति कहता है कि समय आने दो सब कुछ पता चल जाएगा और इसका प्रमाण भी तुम्हें मिल जाएगा कि मैंने कैसे अपने पूर्व जन्म के कर्मों के अनुसार इस राज्य के सिंहासन को प्राप्त किया है राजा की बातें सुनकर वैद वहां से चला जाता है वह मन ही मन राजा को सोचने लगता है कि उसके पूर्व जन्म के फल स्वरूप सिंहासन उसे मिला है समय आने दो मैं देख लूंगा कि तेरे तप और त्याग का कैसा तुमको परिणाम
राजा का आदेश, वैद्य की अगली यात्रा
मिला है दोस्तों धीरे-धीरे समय बीतता जाता है और एक दिन राजा नाव में सैर करने के लिए अपने मंत्री और उस वैद्य के साथ नदी के किनारे पहुंच जाता है वहां उसने नदी के जल में बहते हुए तीन कमल पुष्प देखता है फिर उसने आदेश देकर वह फूल नदी में से निकलवा फिर ध्यान से उन्हें देखने लगता है और राजा उन फूलों को देखकर कहने लगता है कि यह फूल तो बिल्कुल सोने की तरह लगते हैं और जीवन में मैंने कभी इतने अद्भुत कमल के फूल नहीं देखे हैं तब वैद्य कहता है कि हां राजन और मंत्री भी राजा की सहमति जताता है कि ऐसे फूल तो मैंने पहली बार देखे हैं और फिर

मंत्री कहता है कि महाराज इन्हें तो आपको अपने सरोवर में लगवाना चाहिए तब राजा वैद्य की ओर इशारा करते हुए कहता है कि वैद्य आज आप बहुत ही गहरी जानकारी रखते हैं बहुत सी जड़ी बूटियों को आप देखते ही पहचान लेते हैं कि यह कौन सी जड़ी बूटियां है आप जाकर के उस स्थान का पता तो लगाइए जहां से यह फूल नदी में बहकर आए थे और यदि हो सके तो उनके कुछ बीज भी ले आइएगा मैं इन्हें अपने सरोवर में लगवाना चाहता हूं दोस्तों अब कोई और अवसर होता तो वह वैद्य जाने से मना कर देता किंतु इतने मंत्रियों की उपस्थिति में वह कैसे इंकार कर सकता
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यदि इंकार करता तो उसकी योग्यता पर प्रश्न चिन्ह लग जाता और सब यही सोचते हुए वह वैद उन फूलों की खोज में वहां से जाने को तैयार हो जाता है नदी के बहाव के विपरीत दिशा में चलता हुआ वैद उस नदी के स्थान पर पहुंच जाता है जहां वह फूल खिले हुए थे वहां पर एक बहुत पुराना ऐसा मंदिर था जो खंडहर में तब्दील हो चुका था उस मंदिर का अधिकतर जो हिस्सा था वह ध्वस्त हो चुका था सिर्फ वही कक्ष कुछ अच्छी हालत में बचा हुआ था जिसमें भगवान मूर्ति स्थापित थी और भगवान की मूर्ति को देखकर वैद्य भगवान को प्रणाम करता है फिर उस कक्ष से बाहर निकल
नदी किनारे बरगद का चमत्कार
मंदिर के प्रांगण में पहुंच जाता है और इधर-उधर निगाहे दौड़ाने लगता है तभी उसकी नजर एक बरगद के वृक्ष पर जाती है वह बरगद का पेड़ बहुत ही विशाल था नदी के किनारे वज्य उगा हुआ था उसकी कुछ शाखाएं तो नदी के जल के ऊपर ली हुई थी तभी उसकी नजर वृक्ष की एक शाखा पर लटके हुए एक मानव के कंकाल पर जाकर के अटक जाती है नर कंकाल बरगद की एक मोटी सी शाखा पर लटका हुआ था उसकी टांगे आकाश की तरफ और सिर नदी के जल के कुछ ऊपर था फिर वह वैद उस नर कंकाल के समीप जाता है और वह सोचने लगता है कि यह कैसा कंकाल है और किसका है और क्यों विपरीत अवस्था में लटका हुआ है क्या इसके
उल्टा लटकने में कोई रहस्य छुपा हुआ है वह वैद यह सब कुछ बातें सोच ही रहा था कि अचानक मौसम बदल जाता है आकाश में काले घने बादल छा जाते हैं हवा का प्रवाह तेज होने लगता है देखते ही देखते तेज आंधी के साथ घनघोर बरसात शुरू हो जाती है बरसात में भीगने से बचने के लिए वह वैद बरगद के मोटे तने के बीच खड़ा हो जाता है फिर उसकी नजर फिर उस कंकाल के ऊपर जाकर के टिक जाती है बरसात की बूंदे जब उस कंकाल को भिगो रही थी तब उस कंकाल को स्पर्श कर करके वर्षा का जो जल था वह नदी में नीचे गिरता तो उससे स्वर्ण कमल पैदा हो रहे थे यह देख कर
के वह वैद आश्चर्य चकित हो जाता है दोस्तों बारिश जब बंद होती है तो वह वैद लटकते हुए कंकाल को छूने का प्रयास करता है तभी अचानक नर कंकाल शाखा से अलग होकर नदी के जल में जाकर के गिर जाता है और गहरे जल में जाकर के वहीं विलीन हो जाता है और तब वह वैद्य जब वापस लौटता है तो आकर के उसने जो बात उसके साथ जो भी घटना हुई थी वह सब कुछ आकर के उस राजा को बताता है अब सभी बातें सुनकर राजा के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है तब उसने वैद्य से कहता है कि वैद्य जी नर कंकाल को तुम देख कर के आ रहे वह पूर्व जन्म में मेरामैंने पहले जन्म में उस बरगद का ही शरीर था
पूर्व जन्म की तपस्या और वैद्य की अंतिम चेतावनी
वृक्ष पर उल्टा लटक कर के वर्षों तक भगवान की तपस्या कर रहा था मैं एक योगी था तपस्या के दौरान ही मेरी मृत्यु हो गई थी वर्षों तक उल्टा लटके रहने के कारण मेरा शरीर सूख गया था और मेरा शरीर नर कंकाल में तब्दील हो चुका था और अब तो वह नर कंकाल भी नहीं रहा था अच्छा हुआ जो मेरे पूर्व शरीर को मुक्ति मिल गई है राजा की इन बातों को सुनकर उस वेद कहता है पर मेरी एक शिकायत अभी भी है आपसे मेरे प्रयासों से आप राजा बने हो और आप अभी भी मेरी उपेक्षा कर रहे हो तब राजा कहता है राजवेद यही तो तुम रा भ्रम है मैंने तुम्हें बताया तो था कि यह राज पाठ मुझे मेरे next story
पूर्व जन्म के कर्मों के फल के कारण मिला है तब वैद कहता है कि फिर मेरे प्रयास का कोई मतलब नहीं है तब राजा कहता कि तुमने जितने काम किए हैं सब अपने स्वार्थ के कारण किए हैं मैं तो तुम्हारी कुछ बातों को भी जानता हूं जिनके कारण मैं तुम्हें सूली पर भी चढ़ा सकता हूं लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगा क्योंकि तुमने मेरे साथ जो भी किया है और किसी के साथ जो भी किया है उसका फल तो तुम्हा ईश्वर देगा यह सुनकर के वैद्य कांपने लगता है राजा जब उसे कांपते हुए देखता है तो वह कहने लगता है कि डरने की कोई बात नहीं है विश्वास रखो कि मैं तुम्हें सूली पर लटकाने का आदेश नहीं
दूंगा क्योंकि मैं जानता हूं जन्म मरण हानि लाभ यह सब कुछ भगवान की इच्छा से ही होता है अपने पूर्व जन्म के कर्मों का फल मैं इस जीवन में राजा बनकर भोग रहा हूं तुम अपने कुछ कर्मों का फल अगले जन्म में भोगे इस जन्म के तुम्हारे जो कर्म है उसका फल तुम्हें भोगना पड़ेगा अब तुम उस दिन का इंतजार करो कि जब तुम्हें तुम्हारे कर्मों का फल लौट कर के तुमको मिलेगा राजा की इन बातों को सुनकर वह वैद्य बड़ा उदास हो जाता है और वहां से चला जाता है और अपने घर में जाकर के पलंग पर लेट जाता है दोस्तों कुछ समय बीत जाता है और कुछ ही महीनों के बाद वह वैद्य व जंगल में जड़ी
कर्म का न्याय और वैद्य का अंत
बूटियां ढूंढने के लिए जाता है और संयोग से वह उसी कुएं के पास पहुंच जाता है जहां उसने उस वृद्ध राजा की लाश को कुएं में फेंका था और अब उस कुएं में अब एक ऐसी झाड़ी उग आई थी जिनकी टहनियां कुएं के बाहर तक फैली हुई था उन झाड़ियों में कुछ फूल खिले हुए थे उन फूलों को देखकर वैद्य उन पर मंत्र मुग्ध हो जाता है और उनको तोड़ने के लिए वह अपने आप को रोक नहीं पाता है वह कुएं के पास जैसे ही पहुंचता है और नीचे झुककर जैसे ही फूल तोड़ने का प्रयास करने लगता है तभी एकाएक उसका पैर फिसल जाता है और वह उस कुएं में गिर जाता है वह वैद्य सहायता के लिए बहुत आवाज Other
लगाता है लेकिन उस सुनसान घने जंगल में उसकी इस आवाज को सुनने वाला कोई नहीं था और उसे बताने के लिए कोई भी नहीं आया था और आखिरकार वही परिणाम हुआ जिसका वैद्य को डर था भूखा प्यासा वैद उस कुएं में तड़प तड़प कर मर जाता है दोस्तों मनुष्य को अपने बुरे और अच्छे कर्मों का फल एक ना एक दिन भोगना पड़ता है इसलिए हर व्यक्ति को अपने जीवन में हमेशा अच्छा कर्म करना चाहिए ना तो किसी का बुरा सोचना चाहिए और ना ही किसी के साथ बुरा करना चाहिए
Here are 5 frequently asked questions (FAQs) related to the story
क्या राजा की युवा अवस्था लौटने की दवा सच में काम करती है?
- नहीं, वैद्य ने राजा को झूठी आशा दी थी। यह एक धोखा था, और राजा को कभी अपनी खोई हुई जवानी वापस नहीं मिली।
वैद्य ने राजा को क्यों धोखा दिया?
- वैद्य ने राजा की मूर्खता का फायदा उठाया। उसने सोचा कि राजा अपनी जवानी वापस पाने के लिए किसी भी प्रकार की दवा लेने को तैयार होगा, और इस तरह वह राजा का राज्य हड़पने की योजना बना रहा था।
राजा ने वैद्य के साथ किए गए वादे का पालन क्यों नहीं किया?
- एक बार जब राजा सत्ता में आया, तो उसने वैद्य के प्रति अपने वादे को नकार दिया। राजा का मानना था कि उसकी सत्ता पूर्व जन्म के अच्छे कर्मों का फल थी, और उसे वैद्य के बिना भी यह प्राप्त हुआ।
क्या राजा के पूर्व जन्म की घटनाएँ सच थीं?
- राजा ने दावा किया था कि उसके पूर्व जन्म के कर्मों के कारण ही उसे यह सिंहासन मिला था। अंत में, यह सिद्ध हुआ कि वह वास्तव में एक तपस्वी था, जो भगवान की पूजा करते हुए मर गया था, और अब उसका कंकाल मुक्ति प्राप्त कर चुका था।
वैद्य का अंत क्या था?
- वैद्य अंततः अपने बुरे कर्मों का फल भुगतता है। वह उसी कुएं में गिरकर मरा, जहाँ उसने राजा की लाश फेंकी थी। यह उसकी बुराई का परिणाम था, जो उसे अंत में भोगना पड़ा।
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यह कहानी एक बूढ़े राजा और उसके वैद्य के बीच की चालाकी को दर्शाती है। राजा अपनी युवावस्था को वापस पाने के लिए वैद्य की ओर मदद के लिए देखता है। वैद्य राजा की मूर्खता का फायदा उठाकर उसे तहखाने में अकेले रहने के लिए मजबूर करता है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि लालच और अहंकार कैसे व्यक्ति को गलत फैसले लेने पर मजबूर कर सकते हैं। क्या वैद्य की चालाकी से राजा को सचमुच कोई लाभ होगा?